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दक्षिण चीन सागर में बस 3 मीटर की दूरी पर चीन और अमेरिका के जेट, दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव

दक्षिण चीन सागर में बस 3 मीटर की दूरी पर चीन और अमेरिका के जेट, दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव

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दक्षिण चीन सागर में बस 3 मीटर की दूरी पर चीन और अमेरिका के जेट, दोनों देशों के बीच बढ़ा तनाव

अमेरिका (US) की तरफ से कहा गया है कि चीन (China) की नौसेना का एक फाइटर जेट उसकी वायुसेना के एयरक्राफ्ट के सामने आ गया था। यह घटना दक्षिण चीन सागर (South China Sea) पर हुई है। इस घटना के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है।

अमेरिका ने इस घटना को खतरनाक करार दिया है

  • चीनी नौसेना का जेट यूएस एयरफोर्स के RC-135 से बस तीन मीटर की दूरी पर था
  • अमेरिका का कहना है कि चीन, दक्षिणी चीन सागर पर लगातार आक्रामक बना हुआ है
  • चीनी जेट, एयरक्राफ्ट के विंग के 10 फीट के दायरे में आ गया था
  • वॉशिंगटन: अमेरिकी वायुसेना की तरफ से बताया गया है कि चीनी मिलिट्री का एक प्‍लेन उसके एयरक्राफ्ट के ठीक सामने आ गया था। दक्षिणी चीन सागर में पिछले हफ्ते हुई इस घटना में चीनी नौसेना का फाइटर जेट जे-11 यूएस एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट RC-135 से बस तीन मीटर यानी 10 फीट की दूरी पर आ गया था। यूएस मिलिट्री की मानें तो अंतरराष्‍ट्रीय एयरस्‍पेस में किसी तरह का कोई टकराव न हो इसके लिए वायुसेना ने तुरंत फैसला लिया गया। गुरुवार को अमेरिका की तरफ से दी गई जानकारी के बाद साफ है कि चीन, दक्षिणी चीन सागर पर कितना आक्रामक है।
  • 21 दिसंबर को हुई घटना
    अमेरिका की तरफ से इस कदम को चीन की उस आदत का हिस्‍सा बताया गया है जिसके तहत वह दूसरे देशों पर जोर आजमाइश करने की कोशिशों में लगा है। अमेरिका का कहना है कि चीनी मिलिट्री एयरक्राफ्ट का रवैया काफी खतरनाक है। यूएस मिलिट्री की तरफ से जारी बयान के मुताबिक 21 दिसंबर को यह घटना हुई है। बयान में कहा गया है कि अमेरिका उम्‍मीद करता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्‍ट्रीय एयरस्‍पेस को सुरक्षा के साथ प्रयोग किया जाएगा और इसका प्रयोग अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के मुताबिक ही होगा।
  • घटना पर खामोश चीन
    अमेर‍िकी मिलिट्री के प्रवक्‍ता की मानें तो चीनी जेट, एयरक्राफ्ट के विंग के 10 फीट के दायरे में आ गया था।अमेरिकी एयरक्राफ्ट वहां से तुरंत ही निकल गया। एक और अमेरिकी अधिकारी ने बताया है कि इस मसले को चीनी सरकार के सामने उठाया गया है। वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास की तरफ से इस पूरी घटना पर कुछ नहीं कहा गया है। चीन पहले भी इस तरह की आक्रामकता दिखाता आया है। चीन का कहना है कि अमेरिका का दक्षिणी चीन सागर में जहाज और एयरक्राफ्ट भेजना शांति के लिए अच्‍छा कदम नहीं है।
  • चीन का खतरनाक रवैया
    अमेरिकी मिलिट्री प्‍लेन और जहाज अक्‍सर साउथ चाइना सी पर सर्विलांस ऑपरेशंस और यात्रा के जरिए नजर बनाए रखते हैं। चीन पूरे दक्षिणी चीन सागर पर दावा करता है जहां पर वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया और फिलीपींस ने अपने एक्‍सक्‍लूसिव आर्थिक क्षेत्र बनाए हुए हैं। इस जगह से कई खरब डॉलर का बिजनेस होता है। नवंबर में अपने चीनी समकक्ष के साथ अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा था कि दोनों देशों को संपर्क सुधारने की जरूरत है। साथ ही उन्‍होंने चीनी सैन्‍य जहाजों के खतरनाक व्‍यवहार का मसला भी उठाया था।
  • ऑस्‍ट्रेलिया और कनाडा ने भी की शिकायत
    अमेरिका के अलावा ऑस्‍ट्रेलिया ने भी जून में इसी तरह की घटना की बात कही है। जून में ऑस्‍ट्रेलियाई रक्षा विभाग ने कहा था कि मई में चीनी फाइटर जेट ने खतरनाक तरीके से ऑस्‍ट्रेलिया मिलिट्री सर्विलांस प्‍लेन को इंटरसेप्‍ट किया था। ऑस्‍ट्रेलिया का कहना था कि रॉयल ऑस्‍ट्रेलियन एयरफोर्स (RAAF) के एयरक्राफ्ट के सामने अचानक एक चीनी जेट आ गया था। जून में कनाडा की मिलिट्री ने कहा था कि चीन के वॉरप्‍लेन ने उसके पेट्रोल एयरक्राफ्ट का पीछा किया था।
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