जब ईडन गार्डन के पिच क्यूरेटर ने ठुकरा दी थी MS Dhoni की रिक्वेस्ट…अंग्रेजों के विरुद्ध भारत ने भुगता खामियाजा
वो दिन था 17 दिसंबर का. साल 2012 में भारत दौरे पर आई इंग्लैंड की टीम ने यहां वो कारनामा करके दिखाया जिसे दोहराने में अंग्रेजों को 28 साल लंबा इंतजार करना पड़ा. जी हां, इंग्लैंड की टीम नवनियुक्त कप्तान एलेस्टर कुक के नेतृत्व में साल 2012 में भारत दौरे पर आई थी. भारतीय टीम की कमान महेंद्र सिंह धोनी के कंधों पर थी. धोनी पर जिम्मेदारी थी कि भारतीय सरजमीं पर इंग्लैंड के 28 साल के सीरीज जीत के सूखे को आगे भी बनाए रखते लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
एलेस्टर कुक ने की थी डेविड गावर की बराबरी
साल 1984-85 में खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज डेविड गावर की कप्तानी वाली इंग्लैंड की टीम ने 2-1 से अपने नाम की थी. इसके बाद चार बाद इंग्लैंड ने भारत का दौरा किया लेकर वो यहां टेस्ट सीरीज नहीं जीत सके. तीन बार भारत ने सीरीज में जीत दर्ज की जबकि एक बार सीरीज बराबरी पर खत्म हुई. साल 2012 में इंग्लैंड ने 28 साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर भारत की सरजमीं पर धोनी की कप्तानी वाली टीम को मात दी थी. एलेस्टर कुक की टीम ने 2-1 से टेस्ट सीरीज पर कब्जा किया था.
जबदस्त फॉर्म में थे एलेस्टर कुक
अहमदाबाद टेस्ट के साथ सीरीज की शुरुआत हुई और भारत ने इंग्लैंड को फॉलोऑन पर खिलाकर नौ विकेट से जीत दर्ज की. मुंबई टेस्ट में जबर्दस्त वापसी करते हुए एलेस्टर कुक की टीम ने 10 विकेट से भारत को हराया. इसके बाद तीसरा मुकाबला खेलने के लिए दोनों टीमें ईडन गार्डन पहुंची, जहां इंग्लिश टीम को सात विकेट से जीत मिली. सीरीज का तीसरा और आखिरी टेस्ट नागपुर में खेला गया, जो बराबरी पर खत्म हुआ. इस सीरीज के दौरान इंग्लैंड के कप्तान एलेस्टर कुक जबर्दस्त फॉर्म में थे. उन्होंने तीन शतकों की मदद से चार मैचों में कुल 562 रन ठोक दिए थे. मोंटी पनेसर और ग्राम स्वान ने मिलकर चार मैचों में 48 विकेट अपने नाम किए.
धोनी-क्यूरेटर विवाद
यह सीरीज भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और ईडन गार्डन के पिच क्यूरेटर प्रबीर मुखर्जी के बीच विवाद के चलते चर्चा में रही थी. दरअसल, धोनी चाहते थे कि यहां टर्निंग विकेट बनाया जाए ताकि वो अंग्रेजों पर दबाव बना सकें लेकिन प्रबीर ने ऐसा करने से मना कर दिया। उनका मानना था कि ऐसा करना फैन्स के साथ धोखेबाजी जैसा होगा. टर्निंग विकेट पर तीन दिन में ही मैच का नतीजा आ जाएगा लेकिन लोग पांच दिन यहां मैच देखना चाहते हैं.
भारत को टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड पर बढ़त बनाने के लिए हर हाल में कोलकाता टेस्ट जीतना था. एमएस धोनी ने पिच क्यूरेटर ने निवदेन भी किया था, मगर क्यूरेटर ने उनकी बात नहीं मानी.
दिसंबर का महीना, साल 2012 और नागपुर का मैदान… इन 3 चीजों से भारत की कुछ अच्छी यादें नहीं जुड़ी हैं. 9 साल पहले भारत को अपने ही घर में इंग्लैंड के हाथों 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-2 से हार झेलनी पड़ी थी. इंग्लैंड ने 28 साल बाद भारत में टेस्ट सीरीज जीती थी और इंग्लिश टीम के जीत के हीरो बने थे उनके नए कप्तान एलिस्टर कुक, जिन्होंने 3 शतक सहित कुल 562 रन बनाए थे, जबकि भारत के हार की एक वजह बनी थी पिच.
वो पिच…जहां अगर भारतीय बल्लेबाज चल जाते तो टीम सीरीज बढ़त हासिल कर लेती, मगर एमएस धोनी की बात को पिच क्यूरेटर का नजरअंदाज करना भारत को इतना भारी पड़ गया कि उसने सिर्फ कोलकाता टेस्ट ही नहीं गंवाया था, बल्कि सीरीज भी गंवा दी थी, क्योंकि सीरीज का आखिरी टेस्ट नागपुर में 17 दिसंबर को ड्रॉ हो गया था.
क्यूरेटर ने नहीं मानी धोनी की बात
दरअसल 5 से 9 दिसंबर 2012 को कोलकाता में भारत और इंग्लैंड के बीच सीरीज का तीसरा मुकाबला खेला गया. इस मैच से पहले इंग्लिश टीम ने मुंबई में सीरीज 1-1 से बराबर कर दी थी. दोनों की नजर कोलकाता में बढ़त लेने पर थी. इंग्लैंड की टीम कोलकाता में काफी टर्न की उम्मीद कर रही थी, मगर ईडन गार्डंस के पिच क्यूरेटर ने एमएस धोनी का निवेदन तक नहीं माना.
अश्विन ने बनाए थे सबसे ज्यादा रन
पिच से भारत को मदद नहीं मिली, क्योंकि भारतीय बल्लेबाजों दोनों पारियों में फेल रहे थे. इस मुकाबले में जेम्स एंडरसन ने 6 विकेट और मोंटी पनेसर ने 5 विकेट लिए थे. चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली दोनों पारियों में फ्लॉप रहे, जबकि सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह, एमएस धोनी भारत की दूसरी पारी में रन बनाने से जूझते रहे. भारत की दूसरी पारी में सबसे ज्यादा 91 रन आर अश्विन ने बनाए थे. वो नाबाद रहे थे.
सीरीज भी भारत ने गंवा दी
इसी के साथ इंग्लैंड ने 7 विकेट से तीसरा टेस्ट जीतकर सीरीज में 2-1 से बढ़त हासिल कर ली. इसके बाद आज से ठीक 9 साल बाद नागपुर में खेला गया चौथा और आखिरी टेस्ट ड्रॉ होने की वजह से भारत ने सीरीज भी गंवा दी. इस सीरीज में मोंटी पनसेर और ग्रैम स्वान दोनों ने मिलकर 47 विकेट लिए थे.
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