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भारत को एक नहीं, दो बार बनाया वर्ल्ड चैंपियन, संन्यास पर वनडे में सबसे ज्यादा शतक और रन

भारत को एक नहीं, दो बार बनाया वर्ल्ड चैंपियन, संन्यास पर वनडे में सबसे ज्यादा शतक और रन

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भारत को एक नहीं, दो बार बनाया वर्ल्ड चैंपियन, संन्यास पर वनडे में सबसे ज्यादा शतक और रन

भारत ने पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप आज से कोई 39 साल पहले जीता था. तब फाइनल में भारत ने दो बार के चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर खिताब जीता था. उस फाइनल में कपिल देव का पीछे दौड़कर लिया विवियन रिचर्ड्स का कैच….मोहिंदर अमरनाथ का वो आखिरी विकेट हासिल करने के बाद पवेलियन की तरफ दौड़ लगाना…सबको याद है. लेकिन, उस फाइनल में भारत के लिए सबसे अधिक रन किसने बनाए थे, यह शायद कम ही लोगों को याद होगा. उस खिलाड़ी का नाम कृष्णमाचारी श्रीकांत है. वो आज ही के दिन यानी 22 दिसंबर को 1959 में मद्रास (अब चेन्नई) में पैदा हुए थे. श्रीकांत ने 1983 के विश्व कप फाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ 38 रन की पारी खेली थी, यह भारत की तरफ से किसी बैटर का सबसे बड़ा स्कोर था. भारत को पहली बार विश्व विजेता बनाने में इस पारी का भी अहम योगदान था.

इसके बाद भारत 2011 में दूसरी बार वनडे का विश्व चैंपियन बना था. उस वक्त भी भारत को विश्व विजेता बनाने में श्रीकांत का अहम योगदान था. क्योंकि उनकी देखरेख में ही 2011 विश्व कप के लिए भारतीय टीम चुनी गई थी. वो 2008 से 2012 तक सीनियर सेलेक्शन कमेटी के मुखिया थे. श्रीकांत ने 21 साल की उम्र में डेब्यू किया था. उनकी बल्लेबाजी में मुश्ताक अली की बेखौफ छाप नजर आती थी. वो अपने दौर के ऐसे बैटर थे, जो किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियां उड़ाने का दम रखते थे. साथ ही, वो उसी समय किसी आसान सी गेंद पर आउट हो जाते थे. यही अंदाज ही उन्हें खास बनाता था.

श्रीकांत की कप्तानी में किया था सचिन ने डेब्यू

श्रीकांत, 80 के मध्य में जब टी20 क्रिकेट का कोई जिक्र ही नहीं था. तब वो आज के टी20 के अंदाज में बेखौफ बेलाग बल्लेबाजी करते थे. वो बिना कट, हुक और पुल तीनों शॉट बड़ी आसानी से खेलते थे. बल्लेबाजी में निरंतरता का अभाव होने के बावजूद वो 80 के दशक में काफी समय तक सुनील गावस्कर के सलामी जोड़ीदार रहे. 1989 में पाकिस्तान दौरे पर गई भारतीय टीम के वो कप्तान थे. उनकी कप्तानी में उसी दौरे पर 16 साल के सचिन तेंदुलकर ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. उनकी कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान दौरे पर चारों टेस्ट ड्रॉ कराए थे. हालांकि, उस दौरे पर उनकी बल्लेबाजी अच्छी नहीं रही थी. इसकी काफी आलोचना हुई थी.
 
श्रीकांत ने 2011 की विश्व चैंपियन टीम चुनी थी
 

1993 में जब इन्हें साउथ जोन की टीम में नहीं चुना गया, तो 33 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. तब वह वनडे में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन और शतक बनाने वाले क्रिकेटर थे. श्रीकांत के नाम 4091 वनडे इंटरनैशनल रन थे. इसके साथ ही उन्होंने वनडे में 4 शतक भी जड़े थे. उन्होंने भारत के लिए 43 टेस्ट में 2062 बनाए थे. टेस्ट में उनके नाम 2 शतक और 12 अर्धशतक दर्ज हैं. वो 1987 और 1992 के विश्व कप में भी खेले थे. श्रीकांत ने 4 टेस्ट और 13 वनडे मुकाबलों में कप्तानी की है. श्रीकांत की कप्तानी में सभी टेस्ट ड्रॉ रहे और वह बतौर कप्तान सिर्फ 4 वनडे मुकाबले ही जीत पाए और 8 में हार मिली थी.

वो 2008 में दिलीप वेंगसरकर के स्थान पर सीनियर सेलेक्शन कमेटी के मुखिया बने थे. यह पहली पेड सेलेक्शन कमेटी थी. यानी इस कमेटी में शामिल सेलेक्टर्स को बीसीसीआई की तरफ से पैसा मिलता था. इसी कमेटी ने 2011 के वनडे विश्व कप के लिए भारतीय टीम चुनी थी, जो 28 साल बाद टूर्नामेंट जीतने में सफल रही थी.

 
 

 

 
 

भारत को एक नहीं, दो बार बनाया वर्ल्ड चैंपियन, संन्यास पर वनडे में सबसे ज्यादा शतक और रन

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भारत को एक नहीं, दो बार बनाया वर्ल्ड चैंपियन, संन्यास पर वनडे में सबसे ज्यादा शतक और रन

भारत ने पहला क्रिकेट वर्ल्ड कप आज से कोई 39 साल पहले जीता था. तब फाइनल में भारत ने दो बार के चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर खिताब जीता था. उस फाइनल में कपिल देव का पीछे दौड़कर लिया विवियन रिचर्ड्स का कैच….मोहिंदर अमरनाथ का वो आखिरी विकेट हासिल करने के बाद पवेलियन की तरफ दौड़ लगाना…सबको याद है. लेकिन, उस फाइनल में भारत के लिए सबसे अधिक रन किसने बनाए थे, यह शायद कम ही लोगों को याद होगा. उस खिलाड़ी का नाम कृष्णमाचारी श्रीकांत है. वो आज ही के दिन यानी 22 दिसंबर को 1959 में मद्रास (अब चेन्नई) में पैदा हुए थे. श्रीकांत ने 1983 के विश्व कप फाइनल में वेस्टइंडीज के खिलाफ 38 रन की पारी खेली थी, यह भारत की तरफ से किसी बैटर का सबसे बड़ा स्कोर था. भारत को पहली बार विश्व विजेता बनाने में इस पारी का भी अहम योगदान था.

इसके बाद भारत 2011 में दूसरी बार वनडे का विश्व चैंपियन बना था. उस वक्त भी भारत को विश्व विजेता बनाने में श्रीकांत का अहम योगदान था. क्योंकि उनकी देखरेख में ही 2011 विश्व कप के लिए भारतीय टीम चुनी गई थी. वो 2008 से 2012 तक सीनियर सेलेक्शन कमेटी के मुखिया थे. श्रीकांत ने 21 साल की उम्र में डेब्यू किया था. उनकी बल्लेबाजी में मुश्ताक अली की बेखौफ छाप नजर आती थी. वो अपने दौर के ऐसे बैटर थे, जो किसी भी गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियां उड़ाने का दम रखते थे. साथ ही, वो उसी समय किसी आसान सी गेंद पर आउट हो जाते थे. यही अंदाज ही उन्हें खास बनाता था.

श्रीकांत की कप्तानी में किया था सचिन ने डेब्यू

श्रीकांत, 80 के मध्य में जब टी20 क्रिकेट का कोई जिक्र ही नहीं था. तब वो आज के टी20 के अंदाज में बेखौफ बेलाग बल्लेबाजी करते थे. वो बिना कट, हुक और पुल तीनों शॉट बड़ी आसानी से खेलते थे. बल्लेबाजी में निरंतरता का अभाव होने के बावजूद वो 80 के दशक में काफी समय तक सुनील गावस्कर के सलामी जोड़ीदार रहे. 1989 में पाकिस्तान दौरे पर गई भारतीय टीम के वो कप्तान थे. उनकी कप्तानी में उसी दौरे पर 16 साल के सचिन तेंदुलकर ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. उनकी कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान दौरे पर चारों टेस्ट ड्रॉ कराए थे. हालांकि, उस दौरे पर उनकी बल्लेबाजी अच्छी नहीं रही थी. इसकी काफी आलोचना हुई थी.
 
श्रीकांत ने 2011 की विश्व चैंपियन टीम चुनी थी
 

1993 में जब इन्हें साउथ जोन की टीम में नहीं चुना गया, तो 33 साल की उम्र में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. तब वह वनडे में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन और शतक बनाने वाले क्रिकेटर थे. श्रीकांत के नाम 4091 वनडे इंटरनैशनल रन थे. इसके साथ ही उन्होंने वनडे में 4 शतक भी जड़े थे. उन्होंने भारत के लिए 43 टेस्ट में 2062 बनाए थे. टेस्ट में उनके नाम 2 शतक और 12 अर्धशतक दर्ज हैं. वो 1987 और 1992 के विश्व कप में भी खेले थे. श्रीकांत ने 4 टेस्ट और 13 वनडे मुकाबलों में कप्तानी की है. श्रीकांत की कप्तानी में सभी टेस्ट ड्रॉ रहे और वह बतौर कप्तान सिर्फ 4 वनडे मुकाबले ही जीत पाए और 8 में हार मिली थी.

वो 2008 में दिलीप वेंगसरकर के स्थान पर सीनियर सेलेक्शन कमेटी के मुखिया बने थे. यह पहली पेड सेलेक्शन कमेटी थी. यानी इस कमेटी में शामिल सेलेक्टर्स को बीसीसीआई की तरफ से पैसा मिलता था. इसी कमेटी ने 2011 के वनडे विश्व कप के लिए भारतीय टीम चुनी थी, जो 28 साल बाद टूर्नामेंट जीतने में सफल रही थी.

 
 

 

 
 

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