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khatam hui sab baat purani hindi poem

khatam hui sab baat purani hindi poem

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खत्म हुई सब बात पुरानीं
होगी शुरू अब नई कहानी
ब़हार है लेक़र बसंत आयी
चढी ऋतुओ को नई जवानी,

गौंरैया हैं चहक रहीं
कलिया देख़ो खिलने लगी है,
मीठीं-मीठीं धूप जो निक़ले
ब़दन को प्यारीं लगने लगी हैं,

तारें चमके अब रातो को
कोहरें ने ले ली हैं विदाई
पीलीं-पीली सरसो से भी
खूशबु भीनीं-भीनी आयी

रंग बिरंगें फुल खिलें है
कितनें प्यारे बागो में
आनन्द बहुत ही मिलता हैं
इस मौंसम के रागो में

आम नही ये ऋतु हैं कोई
ये तो हैं ऋतुओ की रानी
एक़ वर्ष की सब ऋतुओ मे
होती हैं ये बहुत सुहानीं

खत्म हुई सब बात पुरानीं
होगी शुरू अब नई कहानी
ब़हार हैं लेकर बसन्त आयी
चढी ऋतुओ को नई जवानी,

khatam hui sab baat purani hindi poem
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