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ब्रेस्ट में दूध बढ़ाने के 5 प्राकृतिक उपाय, जानें शिशु के लिए कितना फायदेमंद है मां का दूध

ब्रेस्ट में दूध बढ़ाने के 5 प्राकृतिक उपाय, जानें शिशु के लिए कितना फायदेमंद है मां का दूध

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ब्रेस्ट में दूध बढ़ाने के 5 प्राकृतिक उपाय, जानें शिशु के लिए कितना फायदेमंद है मां का दूध

 

स्तनपान से मां को मिलने वाले फायदे (The benefits of breastfeeding to the mother in hindi)

कैंसर से बचाव

स्तनपान की मदद से सिर्फ बच्चे को ही नहीं बल्कि उसकी मां को भी काफी फायदा मिलता है। कई रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें ये बात कही गई है कि स्तनपान कराने से बच्चे की मां को गर्भाशय में होने वाले कैंसर से बचाया जा सकता है।

मां की ब्लीडिंग कम करे

आपको ये पता होगा कि बच्चे के जन्म के बाद से ही बच्चे की मां की ब्लीडिंग की समस्या हो जाती है, जिसकी वजह से महिलाओं को पेट दर्द की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। वहीं, अगर महिला अपने बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान कराती है तो ऐसे में उसकी ब्लीडिंग के कारण होने वाले दर्द से तो राहत मिलती ही है साथ ही ब्लीडिंग कम भी होती है। 

 

कई कारणों से अक्सर मां के स्तनों का दूध कम या सूख जाता है, जो शिशु के लिए नुकसानदेह बात है। जानें स्तनों में प्राकृतिक रूप से दूध बढ़ाने के उपाय।

शिशु का मां का दूध सबसे ज्‍यादा फायदेमंद होता है। एक मां के लिए अपने शिशु को पहली बार स्‍तनपान कराना अविस्मणीय और ममता से भरा अहसास होता है। शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान माना जाता है। मां का पहला दूध बच्चे को जीवन भर कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी प्रदान करता है। यही नहीं, शिशु को स्तनपान कराने से महिलाएं भी कई गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकती हैं। लेकिन कई बार मां के स्तनों में दूध की कमी हो जाती है और बच्चे और मां दोनों के लिए एक गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है। इस समस्‍या से निजात दिलाने के लिए हम आपको इस लेख के माध्‍यम से बता रहे हैं स्तनों में प्राकृतिक रूप से दूध बढ़ाने के कुछ कारगर उपाय। 

जन्‍म के बाद ही कराएं स्‍तनपान 

जन्म के बाद एक घंटे तक नवजात शिशु में स्तनपान करने की तीव्र इच्छा होती है। बाद में उसे नींद आने लगती है। इसलिए जन्म के बाद जितनी जल्दी मां और बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर दे, उतना अच्छा होता है। आमतौर पर जन्म के 45 मिनट के अन्दर स्वस्थ बच्चों को स्तनपान शुरू करवा देना चाहिए।

शल्य-चिकित्सा द्वारा उत्पन्न हुए बच्चों से भी माता पर बेहोशी की दवा का असर समाप्त होते ही स्तनपान शुरू करवा देना चाहिए। जन्म के तुरन्त बाद बच्चों को मां का दूध पिलाने से स्तनपान की प्रक्रिया ठीक हो जाती है। स्तनपान की सफलता में शुरू के कुछ दिनों के प्रयास का बड़ा योगदान रहता है। लेकिन जब किसी मां के स्तन में दूध का पर्याप्त उत्पादन नहीं होता तो यह मां और शिशु दोनों के लिए ही कष्ट देने वाली स्थति होती है।

क्‍यों होती है स्‍तनों दूध की कमी 

ऐसी स्थिति पैदा होने पर घबराएं नहीं क्योंकि आपके दूध का उत्पादन बढ़ाना संभव है और इसके लिए आपको जोखिम भरी दवाइयां लेना भी जरूरी नहीं। क्योंकि स्तन में दूध की मात्रा में इजाफा करने के कुछ सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके भी अपनाए जा सकते हैँ। स्तनों में दूध के घटने के कई कारण हो सकते हैं जैसे, तनाव, डिहाइड्रेशन, अनिद्रा तथा खराब खानपान आदि।

स्‍तनों में दूध बढ़ाने के प्राकृतिक उपाय  

  • शिशु को स्तनपान कराते समय स्तन को बराबर बदलती रहें। इससे शरीर में दूध उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही ऐसा करने से आपका बच्चा भी आराम से स्तनपान कर सकेगा। दरअसल इससे दोनों स्तन खाली होते रहेंगे और ज्यादा दूध का उत्पादन होता है। एक बार स्तनपान कराते समय कम से कम दो से तीन बार स्तन बदलें।
  • स्तनपान कराते समय अपने स्तन को दबाएं। इससे भी कम दूध उत्पादन की निराशा से छुटकारा मिलेगा। इससे एक बार स्तनपान कराने पर स्तन पूरी से तरह से खाली हो जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि सौंफ का सेवन पेट साफ करने वाला,हृदय को शक्ति देने वाला, घाव, उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम, बुखार, अफारा, वायु विकार, अनिंद्रा और अतिनिंद्रा, पेट के सभी रोग (अपच, कब्ज आदि) दस्त तथा स्तनों में दूध की कमी आदि को दूर करता है। इसलिए आप स्तनों में दूध की मात्रा को ठीक करने के लिए सौंफ का सेवन कर सकती हैं।
  • बादाम, काजू व पिस्ता जैसे मेवे स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाते हैं। साथ ही ये मेवे विटामिन, मिनरल और प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं। इन्‍हें कच्‍चा खाने पर ज्यादा लाभ होगा। इसके अलावा आप इन्हें दूध के साथ भी ले सकती हैं।
  • लहसुन खाना मां के लिए अच्छा होता है। इसे खाने से भी दूध बनाने की क्षमता बढ़ती है। लहसुन को कच्चा खाने की बजाए उसे मीट, करी, सब्‍जी या दाल में डाल कर पका कर खाएं। अगर आप लहसुन को नियमित खाती हैं तो आपको लाभ अवश्य होगा।
  • तुलसी और करेले दोनों में ही विटामिन पाया जाता है, जिसे खाने से स्तनें में दूध की मात्रा बढ़ती है। तुलसी को सूप या शहद के साथ खाया जा सकता है, या फिर आप इसे चाय में डाल कर भी ले सकती हैं। करेला महिलाओं में लैक्‍टेशन सही करता है। करेला बनाते वक्‍त हल्‍के मसालों का ही प्रयोग करें ताकि यह आसानी से हजम हो सकें। 

यदि किसी मां को कोई आर्थिक व घर-गृहस्थी संबंधी चिन्ता रहती है। या फिर झगड़े या पारिवारिक कलह बने रहने की वजह से वह हर समय परेशान, चिड़चिड़ी और उत्तेजित रहती है, तो उसके अंग-प्रत्यंगों में स्थायी रूप से तनाव बना रहता है। जिस कारण स्तनों में दूध की मात्रा क्रमशः कम होती जाती है। आमतौर पर ऐसी माओं का दूध समय से पहले ही सूखने लगता है।

जन्म के साथ ही बच्चों के लिए उनकी मां का दूध बहुत जरूरी हो जाता है, मां के दूध से ही उन्हें सही पोषण मिलता है। डॉक्टर्स बच्चों को 6 महीने तक दूध पिलाने की ही सलाह देते हैं जिससे की बच्चे के शरीर में स्तनपान के द्वारा शक्ति पहुंच सके। यही वजह है कि बच्चों के लिए स्तनपान जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्तनपान जितना जरूरी और फायदेमंद बच्चे के लिए होता है, उतना ही फायदेमंद बच्चे की मां के लिए होता है। आपको ये जानकर हो सकता है कि हैरानी हुई हो लेकिन अध्ययन में ये बात सामने आई है कि स्तनपान के जरिए बच्चे की मां को भी इसका फायदा मिलता है। 

बच्चे के जन्म के करीब 6 महीने तक डॉक्टर भी उसे बाहर का कुछ भी खिलाने और पिलाने के लिए मना करते हैं और सिर्फ मां का दूध ही पिलाने की सलाह देते हैं। मां के दूध में कई प्रकार के पोषण बच्चे को ऐसे ही मिल जाते हैं तभी उसकी भूख को खत्म करने का काम स्तनपान से ही हो जाता है। 

अमेरिका के जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (Journal of the American Heart Association) में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिला के जीवन में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसके साथ ही बच्चे की मां को कई फायदे मिलते हैं। आइए इस लेख के जरिए जानने की कोशिश करते हैं कि मां और बच्चे को स्तनपान से कैसे और क्या फायदे मिलते हैं। 

स्तनपान से बच्चे को मिलने वाले फायदे (Benefits of breastfeeding for baby in hindi)

सही मात्रा में मिलते हैं मिनिरल्स

बच्चे के जन्म के बाद उसके शरीर को सबसे ज्यादा जरूरत होती है मिनिरल्स की, जो उसकी मां के द्वारा ही दिया जा सकता है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद से ही स्तनपान शुरू हो जाता है जिससे बच्चे को पर्याप्त मात्रा में मिनिरल्स मिल जाते हैं। यही वजह है कि बच्चे की मां के दूध को ही शुरुआती 6 महीने तक काफी जरूरी और फायदेमंद माना जाता है। 

दूध से मिलती है बीमारियों से लड़ने की ताकत

जन्म के बाद बच्चे काफी नाजुक होते हैं उन्हें कोई भी बीमारी तुरंत अपना शिकार बना सकती है, जिससे बचने के लिए मां का स्तनपान समय-समय पर कराना काफी जरूरी होता है। इससे उसके शरीर में धीरे-धीरे ताकत मिलती रहती है जिसकी वजह से वो बीमारियों से लड़ने में कामयाब हो पाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मां के दूध में सभी वो पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शुरुआती बीमारियों से लडऩे में सक्षम हो सकेत हैं। डॉक्टरों का मानना है कि शुरुआती 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान कराना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इससे उनके शरीर को विकसित होने में काफी मदद मिलती है। 

 

 

ब्रेस्ट में दूध बढ़ाने के 5 प्राकृतिक उपाय, जानें शिशु के लिए कितना फायदेमंद है मां का दूध

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