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महाशिवरात्रि 2023

महाशिवरात्रि 2023

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महाशिवरात्रि 2023 

हिन्दुओं में वार्षिक, मासिक एवम साप्ताहिक सभी त्यौहारों का महत्व होता हैं. भोलेनाथ की उपासना सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. साप्ताहिक त्यौहारों में सोमवार भोलेनाथ को समर्पित होता हैं. मासिक त्यौहारों में शिवरात्रि का व्रत एवम पूजन का महत्व होता हैं. वार्षिक त्यौहारों में महा शिवरात्रि, श्रावण माह, हरतालिका तीज आदि त्यौहारों का विशेष महत्व होता हैं. शिव जी की पूजा का समय प्रदोष काल होता हैं. अतः दिन और रात्रि से संबंध के समय करना उपयुक्त माना जाता हैं. शिव जी के किसी भी उपवास की पूजा प्रदोष काल में करना उचित होता हैं.

प्रति माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासी शिवरात्रि मनाई जाती हैं. इसमें प्रदोष काल में अपनी मान्यतानुसार श्रद्धालु पूजन एवम उपवास करते हैं.

प्रति वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महा शिवरात्रि मनाई जाती हैं. महा शिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता हैं. इसे सर्वाधिक लोगो द्वारा किया जाता हैं. 2023 में महा शिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी.

शिवरात्रि / महा शिवरात्रि व्रत एवम पूजन विधि (Shivratri / Maha Shivratri Vrat Puja Vidhi):

  • शिव जी की पूजा प्रदोष काल में दिन और रात्रि के मिलन के समय की जाती हैं.
  • उपवास में अन्न ग्रहण नही किया जाता. दोनों वक्त फलाहार किया जाता हैं.
  • शिव पूजा में रुद्राभिषेक का बहुत अधिक महत्व होता हैं. कई लोग शिवरात्रि के दिन सभी परिवारजनों के साथ मिलकर रुद्राभिषेक करते हैं.
  • शिवरात्रि पर बत्ती जलाने का भी अधिक महत्व होता है, शिवरात्रि के लिए एक विशेष प्रकार की बत्ती को जलाकर उसके सम्मुख बैठ शिव ध्यान किया जाता हैं.
  • शिव जी के पाठ में शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति ,शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव के श्लोक, शहस्त्र नामों का पाठ किया जाता हैं.  
  • शिव जी के ध्यान के लिए ॐ का ध्यान किया जाता हैं. ॐ के उच्चारण को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया हैं.
  • ॐ नमः शिवाय के उच्चारण को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं. ॐ शब्द ऊ एवम अम दो शब्द में मिलकर बना हैं. ध्यान मुद्रा में बैठकर ॐ के उच्चारण से मानसिक शांति मिलती हैं. मन एकाग्रचित्त होता हैं. ॐ का महत्व, हिन्दू, बौद्ध एवम जैन तीनो धर्मो में सबसे अधिक होता हैं.
  • शिव जी का सबसे प्रिय महिना श्रावण  का होता हैं.

शिव रुद्राभिषेक (Shiv Rudrabhishek Mahatva) :

शिव रुद्राभिषेक का पुरे श्रावण माह बहुत अधिक महत्व होता हैं. इसमें शिव के नाम का उच्चारण कर कई प्रकार के द्रव पदार्थ से श्रद्धा के साथ शिव जी का स्नान कराया जाता है, इसे शिव रुद्राभिषेक कहते हैं.

यजुर्वेद में शिव रुद्राभिषेक का विवरण दिया गया है, लेकिन उसका पूर्ण रूप से पालन करना कठिन होता है, इसलिये शिव के उच्चारण के साथ ही अभिषेक की विधि करना उचित माना गया हैं.

यह सभी द्रव से शिम लिंगम का स्नान करवाते हैं. स्नान करवाते समय ॐ नमः शियाव का जाप किया जाता हैं. रुद्राभिषेक परिवार के साथ मिलकर किया जाता हैं.शिव की पूजा हमेशा सभी परिवारजनों के साथ मिलकर की जानी चाहिए.

शिवरात्रि कहानी 1 (Shivratri Vrat Katha 1) :

एक बार भगवान शिव के क्रोध के कारण पूरी पृथ्वी जलकर भस्म होने की स्थिती में थी. उस वक्त माता पार्वती ने भगवान शिव को शांत करने के लिए उनसे प्रार्थना की उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर शिव जी का क्रोध शांत होता हैं. तब से कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन उपासना की जाती हैं. इसे शिव रात्रि व्रत कहते हैं. शिव रात्रि के व्रत से सभी प्रकार के दुखों का अंत होता हैं. संतान प्राप्ति के लिए , रोगों से मुक्ति के लिए शिवरात्रि का व्रत किया जाता हैं.

शिवरात्रि कथा 2 (Shivratri Vrat Story 2) :

एक बार भगवान विष्णु एवम ब्रह्मा जी के बीच मत भेद हो जाता हैं. दोनों में से कौन श्रेष्ठ हैं इस बात को लेकर दोनों के बीच मन मुटाव हो जाता हैं. तभी शिव जी एक अग्नि के सतम्भ के रूप में प्रकट होते हैं और विष्णु जी और ब्रह्माजी से कहते हैं कि मुझे इस प्रकाश स्तम्भ कोई भी सिरा दिखाई नहीं दे रहा हैं. तब विष्णु जी एवं ब्रह्मा जी को अपनी गलती का अहसास होता हैं. और वे अपनी भूल पर शिव से क्षमा मांगते हैं. इस प्रकार कहा जाता हैं कि शिव रात्रि के व्रत से मनुष्य का अहंकार खत्म होता हैं.मनुष्य में सभी चीजों के प्रति समान भाव जागता हैं. कई तरह के विकारों से मनुष्य दूर होता हैं.

शिवरात्रि व्रत एवम पूजा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है, इसे बड़े व्रतों में से एक माना जाता है. सभी मंदिरों में शिव की पूजा की जाती हैं. बारह ज्योतिर्लिंगों का बहुत अधिक महत्व होता हैं.

बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम (Barah Jyotirling Ke Naam)

  1. सौराष्ट्र में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
  2. श्रीशैलम में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
  3. उज्जैन मध्य प्रदेश मे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
  4. मध्य प्रदेश खंडवा में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
  5. परली वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्रा)
  6. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
  7. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
  8. त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्रा)
  9. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
  10. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
  11. विशेश्वर ज्योतिर्लिंग
  12. घ्रिश्नेश्वर ज्योतिर्लिंग

 

FAQ

Q : महाशिवरात्रि कब है ?

Ans : फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को

Q : महाशिवरात्रि 2023 में कब है ?

Ans : 18 फरवरी

Q : महाशिवरात्रि का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

Ans : कहा जाता है इस दिन माता पार्वती एवं भगवान शिव जी का विवाह हुआ था.

Q : महाशिवरात्रि के दिन क्या व्रत रखा जाता है ?

Ans : जी हां बिलकुल

Q : महाशिवरात्रि व्रत की कथा क्या है ?

Ans : ये हमने आपको इस लेख में दी हुई है.​

 

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