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बैल पोला त्यौहार

बैल पोला त्यौहार

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बैल पोला त्यौहार

भारत देश कृषिप्रधान देश है, यहाँ कृषि को अच्छा बनाने में मवेशियों का भी विशेष योगदान होता है. भारत देश में इन मवेशियों की पूजा की जाती है. पोला का त्यौहार उन्ही में से एक है, जिस दिन कृषक गाय, बैलों की पूजा करते है. यह पोला का त्यौहार विशेष रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में मनाया जाता है.

पोला त्यौहार कब है (Pola Festival Date)

पोला का त्यौहार भादों माह की अमावस्या को जिसे भी कहते है, उस दिन मनाया जाता है. यह अगस्त – सितम्बर महीने में आता है. इस वर्ष 27 अगस्त को यह मनाया जायेगा. महाराष्ट्र में इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है, विशेष तौर पर विदर्भ क्षेत्र में इसकी बड़ी धूम रहती है. वहां यह त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है. वहां बैल पोला को मोठा पोला कहते हैं एवं इसके दुसरे दिन को तनहा पोला कहा जाता है.

पोला त्यौहार का नाम पोला क्यों पड़ा

विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे के रूप मे मनाया जाता है. तब जन्म से ही उनके कंस मामा उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे. कान्हा जब छोटे थे और वासुदेव-यशोदा के यहाँ रहते थे, तब कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था. एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था, और सबको अचंभित कर दिया था. वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था, इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा. यह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है, इस दिन बच्चों को विशेष प्यार, लाढ देते है. 

पोला त्यौहार क्यों मनाया जाता है, महत्व (Pola Festival Mahatva in Hindi)

भारत, जहां कृषि आय का मुख्य स्रोत है और ज्यादातर किसानों की खेती के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए किसान पशुओं की पूजा आराधना एवं उनको धन्यवाद देने के लिए इस त्योहार को मनाते है.

पोला त्यौहार मनाने का तरीका (Pola Festival Celebration)

पोला दो तरह से मनाया जाता है, बड़ा पोला एवं छोटा पोला. बड़ा पोला में बैल को सजाकर उसकी पूजा की जाती है, जबकि छोटा पोला में बच्चे खिलौने के बैल या घोड़े को मोहल्ले पड़ोस में घर-घर ले जाते है और फिर कुछ पैसे या गिफ्ट उन्हें दिए जाते है.

महाराष्ट्र में पोला पर्व मनाने का तरीका (Pola Festival in Maharashtra)

  • पोला के पहले दिन किसान अपनी बैलों के गले, एवं मुहं से रस्सी निकाल देते है.
  • इसके बाद उन्हें हल्दी, बेसन का लेप लगाते है, तेल से उनकी मालिश की जाती है.
  • इसके बाद उन्हें गर्म पानी से अच्छे से नहलाया जाता है. अगर पास में नदी, तालाब होता है तो उन्हें वहां ले जाकर नहलाया जाता है.
  • इसके बाद उन्हें बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाई जाती है.
  • इसके बाद बैल को अच्छे सजाया जाता है, उनकी सींग को कलर किया जाता है.
  • उन्हें रंगबिरंगे कपड़े पहनाये जाते है, तरह तरह के जेवर, फूलों की माला उनको पहनाते है. शाल उढ़ाते है.
  • इन सब के साथ साथ घर परिवार के सभी लोग नाच, गाना करते रहते है.
  • इस दिन का मुख्य उद्देश्य ये है कि बैलों के सींग में बंधी पुरानी रस्सी को बदलकर, नए तरीके से बांधा जाता है.
  • गाँव के सभी लोग एक जगह इक्कठे होते है, और अपने अपने पशुओं को सजाकर लाते है. इस दिन सबको अपनी बैलों को दिखने का मौका मिलता है.
  • फिर इन सबकी पूजा करके, पुरे गाँव में ढोल नगाड़े के साथ इनका जुलुस निकाला जाता है.
  • इस दिन घर में विशेष तरह के पकवान बनते है, इस दिन पूरम पोली, गुझिया, वेजीटेबल करी एवं पांच तरह की सब्जी मिलाकर मिक्स सब्जी बनाई जाती है.
  • कई किसान इस दिन से अपनी अगली खेती की शुरुवात करते है.
  • कई जगह इस दिन मेले भी लगाये जाते है, यहाँ तरह तरह की प्रतियोगितायें आयोजित होती है, जैसे वॉलीबॉल, रेसलिंग, कबड्डी, खो-खो आदि.

मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में पोला पर्व मनाने का तरीका (Pola Festival in MP and Chhattisgarh)

मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ बहुत सी आदिवासी जाति एवं जनजाति रहती है. यहाँ के गाँव में पोला के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है. यहाँ सही के बैल की जगह लकड़ी एवं लोहे के बैल की पूजा की जाती है, बैल के अलावा यहाँ लकड़ी, पीतल के घोड़े की भी पूजा की जाती है.

  • इस दिन घोड़े, बैल के साथ साथ चक्की (हाथ से चलाने वाली चक्की) की भी पूजा की जाती है. पहले के ज़माने में घोड़े बैल, जीवनी को चलाने के लिए मुख्य होते थे, एवं चक्की के द्वारा ही घर पर गेहूं पीसा जाता था.
  • तरह तरह के पकवान इनको चढ़ाये जाते है, सेव, गुझिया, मीठे खुरमे आदि बनांये जाते है.
  • घोड़े के उपर थैली रखकर उसमें ये पकवान रखे जाते है.
  • फिर अगले दिन सुबह से ये घोड़े, बैल को लेकर बच्चे मोहल्ले पड़ोस में घर – घर जाते है, और सबसे उपहार के तौर पर पैसे लेते है.
  • इसके अलावा पोला के दिन मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में गेड़ी का जुलुस निकाला जाता है. गेड़ी, बांस से बनाया जाता है, जिसमें एक लम्बा बांस में नीचे 1-2 फीट उपर आड़ा करके छोटा बांस लगाया जाता है. फिर इस पर बैलेंस करके, खड़े होकर चला जाता है. गेड़ी कई साइज़ की बनती है, जिसमें बच्चे, बड़े सभी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. ये एक तरह का खेल है, जो मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का पारंपरिक खेल है, भारत के अन्य क्षेत्रों में तो इसे जानते भी नहीं होंगें.

पोला का त्यौहार हर इंसान को जानवरों का सम्मान करना सिखाता है. जैसे जैसे ये त्यौहार आने लगता है, सभी लोग मेहनती किसों को हैप्पी पोला कहकर मुबारकबाद देने लगते है.

FAQ

Q : पोला 2022 में कब है ?

Ans : 27 अगस्त

Q : पोला कब मनाया जाता है ?

Ans : भाद्प्रद माह की अमावस्या को

Q : पोला में किसकी पूजा की जाती है ?

Ans : बैल एवं घोड़ों की

Q : पोला त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

Ans : ये त्यौहार किसानों द्वारा मनाया जाता है. वे इस दिन कृषि में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले जानवर जैसे कि बैल को सम्मान देने उनकी पूजा करने के लिए इस दिन को मानते हैं.

Q : पोला कब से मनाया जा रहा है ?

Ans : प्रचीन काल से

 

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