• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
हरियाली तीज और हरियाली अमावस्या

हरियाली तीज और हरियाली अमावस्या

  • By Admin
  • 32
  • Comments (04)

हरियाली तीज और हरियाली अमावस्या

सावन महिना हिन्दू धर्म के लिए बहुत पावन होता है, इस महीने से अगले चार महीनों के लिए ढेरों तीज त्यौहार शुरू हो जाते है. जैसा की हम जानते है, का होता है, तो इस महीने आने वाले अधिकतर त्यौहार वाले ही होते है. इस पूरे महीने शिव की अराधना की जाती है और शिव पार्वती के अटूट रिश्ते को बड़े धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है.

सावन महिने के विभिन्न त्यौहार में से एक है, हरियाली तीज. शादीशुदा औरतों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शिव पार्वती से जुड़ा हुआ है. हरियाली तीज को तीजन भी कहते है. यह ज्यादातर जुलाई-अगस्त में आता है और इस समय हमारे देश में होता है, जिससे चारों तरफ हरियाली रहती है. मानो किसी ने प्रकति को हरी चादर उढा दी हो. हमारे देश में तीज का महत्व के समान है. 

सावन महीने की पहली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते है, जो अधिकतर जुलाई-अगस्त के समय आती है. हरियाली अमावस्या को हरियाली अमावस व हरियाली अमास भी कहते है. ये त्यौहार मुख्यत उत्तरप्रदेश, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश में मनाया जाता है. आंध्रप्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, कर्णाटक व गुजरात में हरियाली अमावस्या असाढ़ महीने की अमावास में मनाते है. कर्णाटक में इसे भीमाना अमावस्या (Bheemana amavasya) कहते है, महाराष्ट्र में इसे गतारी अमावस्या (Gatari amavasya) कहते है, केरल में इसे कर्किदाका वावू बाली (Karkidaka vavu bali) कहते है एवं उड़ीसा में चितालागी अमावस्या (Chitalagi amavas) कहते है. हरियाली तीज के तीन दिन पहले शुक्ल अमावस्या को हरियाली अमावस्या मनाई जाती है. हरियाली तीज सावन माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. ज्यादातर ये नागपंचमी त्यौहार के 2 दिन पहले आती है. 

हरियाली तीज महत्त्व (Hariyali Teej Mahatv)

हिन्दू धर्म में साल में चार तीज मनाई जाती है. हर तीज का अपना अलग महत्व है, और ये सभी बड़ी धूमधाम से यहाँ मनाई जाती है. तीज का महत्व औरतों के जीवन में बहुत अधिक होता है. हरियाली तीज को श्रावणी तीज व सिंधारा तीज भी कहते है. देश में अलग अलग प्रान्त के लोग इसे अलग अलग नाम से बुलाते है, लेकिन सबका उद्देश्य इस व्रत का एक ही होता है, अपने पति की लम्बी आयु. इस व्रत का एक और उद्देश्य है, बहुत गर्मी के बाद जब बरसात आती है तो चारों और हरियाली छाती है, इसी हरियाली और धरती के नयेपन को तीज के रूप में लोग मनाते है, ताकि हमारे देश में खेती अच्छे से हो. हरियाली तीज के व्रत के द्वारा लोग भगवान से अच्छी वर्षा की कामना करते है. औरतें अपने परिवार, पति के लिए प्रार्थना करती है. लड़कियां अच्छे वर की कामना करतीं हैं.

हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है (Hariyali Teej Celebrations)

हिन्दू मान्यता के अनुसार तीज के व्रत के द्वारा ही माता पार्वती शिव को प्रसन्न कर पाई थी. इस दिन शिव ने पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया था. माता पार्वती के लिए शिव को प्रसन्न करना इतना आसान नहीं था. पार्वती ने शिव को कैसे मुश्किल से प्रसन्न किया ये हम सब जानते है. बहुत कठिन तप के बाद पार्वती से शिव प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी बनाया.

हरियाली तीज मनाने का तरीका, अनुष्ठान (How to Celebrate Hariyali Teej)

हरियाली तीज के एक दिन पहले औरतें सिन्धारे मनाती है. नयी शादीशुदा औरतों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है, नयी शादीशुदा औरतों को अपना पहला सिंधारा हमेशा याद रहता है. हिन्दू धर्म में इस त्यौहार को बहुत अच्छे से मनाते है, राजस्थान में इसका विशेष महत्व होता है. सास अपनी नयी बहु को पूरा श्रृंगार का सामान देती है जिसमें मेहँदी, सिन्दूर, आलता, चूड़ी, बिंदी, पारंपरिक कपड़े, जेवर आदि शामिल होते हैं. श्रृंगार का सामान एक सुहागन के लिए सुहाग का प्रतीक होता है. कहते है अगर औरत श्रृंगार का पूरा 16 सामान पहनती है तो पति को लम्बी आयु मिलती है. शादी के बाद पहली हरियाली तीज औरतें अपने मायके में मनाती है.

हरियाली तीज परंपरा

हरियाली तीज की विभिन्न परम्परा को नीचे प्रदर्शित किया गया है :

  • मेहँदी – हरियाली तीज का त्यौहार मेंहंदी के बिना अधूरा है. कोई भी त्यौहार आज मेहँदी के बिना अधूरा है. किसी भी लड़की व सुहागन की ज़िन्दगी में मेहँदी अहम् स्थान रखती है. सब लड़कियां व औरतें अपने हाथ व पैर में मेहँदी लगाती है. कहते है अगर मेहँदी का रंग ज्यादा गहरा होता है, मतलब उसका पति उससे बहुत प्यार करता है.
  • वट वृक्ष वट वृक्ष में झूला टांगा जाता है. सावन के झूले का हिन्दू समाज में बहुत महत्व है. वृक्ष में झूला डाल कर औरतें एवं लड़कियां झूला झूलती है और सावन के गीत गाती है. हरियाली तीज पर सब औरतें एक जगह इक्कठी होकर सावन के झूले का मजा लेती है और नाचती गाती है. इस दिन इन्हें अपने परिवार से आजादी होती है और किसी तरह की रोक टोंक नहीं होती.
  • तीज बाजार – तीज के दिन लोकल बाजार लगते है, तीज का मेला भरता है, जिसमें औरतों की मौज मस्ती के लिए बहुत कुछ होता है. यहाँ झूले लगाये जाते है, तरह तरह का समान मिलता है. औरतें एवं लड़कियां खुलकर शॉपिंग करती है. औरतों और लड़कियों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है, क्यूंकि इस दिन वे मन चाहे तरीके से तैयार हो सकती है. नए नए कपड़े, जेवर से अपने आपको सजाती है. मेले में खाने के भी स्टाल लगाये जाते है.

तीज बाजार अब आधुनिक समय में बदल गया है. पहले ये शहर, गाँव में सबके लिए लगता था, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आ गया है. अब ये किसी समूह, समाज विशेष द्वारा एक जगह पर लगाया जाता है. सरकार द्वारा ये आयोजित नहीं होता है.

हरियाली तीज व्रत एवं पूजा विधि (Hariyali Teej Vrat and Puja Vidhi)

कुछ जगह हरियाली तीज पर व्रत भी रखा जाता है. हरियाली तीज व्रत का प्रावधान हर जगह नहीं है, ये मुख्य रूप से राजस्थान एवं मारवाड़ी समाज द्वारा ही रखा जाता है. वे लोग इस दिन पुरे 24 घंटे के लिए निर्जला व्रत रखती है. पानी की एक बूँद भी नहीं लेती है, और अपने पति की लम्बी आयु के लिए विशेष प्रार्थना करती है. पूरा दिन उपवास करके रात को पार्वती माता की पूजा करती है व अगले दिन सुबह यह व्रत तोड़ती है. तीज के दिन पार्वती जी की पूजा होती है जिन्हें तीज माता भी कहा जाता है. श्रावणी तीज राजस्थान में बहुत प्रचलित है. इस दिन वहां जगह जगह कार्यक्रम होते है. हर गली नुक्कड़ में नाच गाना होता है.

हरियाली तीज कहां कैसे मनाई जाती है

राजस्थान में हरियाली तीज (Hariyali Teej in Rajasthan)

हरियाली तीज वैसे तो राजस्थान का त्यौहार है, लेकिन अब यह पुरे देश में मनाया जाता है. गुजराती औरतें इस त्यौहार में पारंपरिक कपड़े पहनकर कर गरबा करती है और सावन के गीत गाकर झूला झूलती है.

महाराष्ट्र में हरियाली तीज (Hariyali Teej Mahatv in Maharashtra)

इसी तरह महाराष्ट्र में औरतें हरे कपड़े, हरी चूड़ी, गोल्डन बिंदी और काजल लगाती है. वे नारियल को सजा कर अपनी पहचान वालों में धन्यवाद करने के लिए एक दुसरे को देती है.

वृन्दावन में हरियाली तीज का महत्व (Hariyali teej Mahatv in vrindavan)

वृन्दावन में हरियाली तीज बड़े धूमधाम से मनाते है. इस दिन से जो त्यौहार शुरू होते है, कृष्ण जन्माष्टमी तक चलते है.जानने के लिए पढ़े. कहते है कृष्ण जी वृन्दावन में अपनी राधा और गोपियों के साथ हरियाली तीज बड़ी धूम से मनाया करते थे. वृन्दावन में आज भी इस परंपरा को कायम रखा गया है और जगह जगह झूले डाले जाते है जहाँ औरतें झूला झूलती है और सावन गीत गाती है. इसे वहां झुल्लन लीला कहा जाता है. बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण के गानों से वातावरण मनमोहक हो जाता है. मंदिर में कृष्ण और राधा की लीला के बारे में भी बताया जाता है. कहते है इस दिन कृष्ण और राधा इस मंदिर में अपने स्थान में आते है और कृष्ण राधा को झूला झुलाते है. वृन्दावन में हरियाली तीज के दिन सोने का झूला बनाया जाता है. यह साल में एक बार बनता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है और भक्तों के सैलाब से वृंदावन झूम उठता है.

भगवान् कृष्ण की पूजा आराधना के बाद यहाँ सब पर पवित्र जल छिड़का जाता है, जिससे सबको बहुत अच्छी अनुभूति होती है. वृंदावन में हरियाली तीज के लिए विशेष इंतजाम होते है, विदेशी तो इसे देखने के लिए विशेष रूप से भारत आते है.

हरियाली अमावस्या, आदि अमावस्या (Hariyali Amavasya, Aadi Amavasai Mahatv)

क्यों मनाई जाती है हरियाली अमावस्या (महत्त्व) 

हरियाली अमावस्या जैसा की नाम से समझ आता है, हरियाली मतलब हरा भरा वातावरण और अमावस्या जिस दिन चाँद नहीं निकलता है. हरियाली तीज एवं हरियाली अमावस्या तीन दिन आगे पीछे आती है. तीज की तरह अमावस्या का भी बहुत महत्त्व है. हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य प्रकृति की सुन्दरता और उसके रूप को मनुष्य से जोड़ना है. प्रकृति की हरियाली का महत्व लोगों को समझाने के लिए हरियाली अमावस्या बड़ी धूमधाम से मनाते है. ऐसे त्यौहार से मनुष्य प्रकृति के और करीब आ पाता है, और उसके महत्त्व हो समझ पाता है. हरियाली अमावस्या का एक और महत्व यह है कि यह लोगों को प्रकृति की महत्ता के बारे में बताता है. इस दिन लोगों से वृक्षारोपण करने का आग्रह किया जाता है, इससे उन्हें सुख सम्रधि भी मिलती है. पुराणों के अनुसार एक पेड़ लगाने से दस पुत्रों के जितना सुख मिलता है. वैसे अमावस्या को पितरों का दिन मानते है. हिन्दू लोग अपने पूर्वज, पितरों को इस दिन याद करते है, पवित्र नदी में स्नान करके, दान पुन्य, पितरों को पिंडा देते है. 

आदि अमावस्या (Aadi Amavasai) –

दक्षिण के तमिलनाडु में तमिल लोग अपने कैलेंडर के अनुसार आदि के महीने में आदि अमावसी मनाते है. इस दिन वे विशेष रूप से श्राद्ध व तर्पण करते है.  इस दिन तमिल लोग विशेषकर अपने भगवान् मुरुगन की पूजा अर्चना करते है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान किया जाता है, तीर्थधाम में पिंड दान होता है. रामेश्वरम के अग्नि तीर्थं में इस दिन हजारों लोग डूपकी लगाते है, और पूर्वजों को याद करते है. इसके अलावा कावेरी नदी और घाट में भी भीड़ रहती है, साथ ही कन्याकुमारी के त्रिवेणी संगम में विशेष आयोजन होता है. आदि अमावसी के दिन लोग उपवास करते है, और एक समय खाना खाते है. तमिल लोगों के लिए आदि महिना बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए आदि अमावस्या में विशेष पूजा, हवन का आयोजन होता है. भगवान मुरूग के विश्वासी अपने पापों को धोने के लिए पलानी के शंमुगा नदी में डूपकी लगाते है. यहाँ कुछ लोग अपने बालों का दान भी करते है.

हरियाली अमावस्या मनाने का तरीका (पूजा विधि)(Hariyali Amavasya Celebrations) 

हरियाली अमावस्या के दिन मुख्य रूप से भगवान् शिव की पूजा अर्चना की जाती है. अच्छी वर्षा, मानसून के लिए प्रार्थना करते है, जिससे खेती में कोई परेशानी न आये. सभी शिव मंदिरों में विशेष व्यवस्था की जाती है, शिव दर्शन के लिए भक्तों का ताँता लगा रहता है. वृन्दावन एवं मथुरा में तो इस दिन बहुत धूम रहती है. मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में हजारों कृष्ण भक्त दूर दूर से पहुँचते है, और प्रार्थना करते है. वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में भी भक्तिमय माहौल होता है, इस दिन यहाँ विश्व प्रसिद्ध फूल बंगला महोत्व की समाप्ति भी होती है.

हरियाली अमावस्या में पीपल के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है. भक्त पीपल के पेड़ की पूजा कर उसके चक्कर लगते है और मालपुए का भोग चढाते है. कहते है पीपल के पेड़ में देवी देवता रहते है, इसलिए इस दिन उन्हें दूध, दही, विशेष प्रसाद बनाकर चढ़ाया जाता है. हरियाली अमावास के दिन कुछ लोग व्रत भी रखते है, पंडित को खिलाने के बाद वे एक समय ही भोजन ग्रहण करते है. जीवन में शांति के लिए लोग इस दिन शनि भगवान की पूजा करते है, और उन्हें तेल चढ़ाकर, दिया लगाते है. इस दिन केला के पेड़ की भी पूजा की जाती है, साथ ही कहते है, इस दिन एक केला का पेड़ जरुर लगाना चाहिए. चना-गुड़ दान में दिया जाता है. हरियाली अमावस्या को कोई भी एक पोधा का रोपण जरुर करना चाहिए.

राजस्थान हरियाली अमावस्या महत्व, मनाने का तरीका

राजस्थान में हरियाली अमावस्या बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है. जयपुर, उदयपुर में तो विशेष तैयारियां की जाती है. इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य वातावरण को हराभरा रखना है. बड़े तौर पर इसे मनाने से अधिक लोग इसके महत्व हो समझ पाते है. उदयपुर में इस दिन को बड़े रूप से मनाने की शुरुवात महाराज फ़तेह सिंह ने की थी. महाराजा जी ने एक बार देखा की उनके राज्य में पानी की बहुत बर्बादी होती है, इसे रोकने के लिए उन्होंने एक जलाशय का निर्माण करवाया. इस जलाशय को फ़तेह सागर जलाशय कहा गया. जलाशय का निर्माण सावन महीने की अमावस्या के दिन पूरा हुआ, जिसकी सफलता के बाद यहाँ एक बड़े महोत्सव का आयोजन किया गया. इस फेयर/मेला की प्रथा आज भी चली आ रही है.

फेयर सहेलीयों की बारी से फ़तेहसागर तक का होता है. ये फेयर अब तीन दिन का होता है, जिसमें तरह तरह के खेल, कुश्ती प्रतियोगिता, फोल्क डांस होते है. साथ ही कपड़े, ज्वेलरी, खाने के स्टाल भी लगाये जाते है. यह फेयर बहुत फेमस होता है. देश विदेश से बहुत से पर्यटक इसे देखने उदयपुर जाते है. विदेशी पर्यटकों को भी यहाँ मौज मस्ती करते देखा जाता है, इस तरह के आयोजन हमारी भारतीय सभ्यता, संस्कृति को दर्शाते है. फेयर के आखिरी दिन यहाँ सिर्फ औरतों को ही जाने की इजाजत होती है, सभी औरतें खुलकर मौज मस्ती करती है, और अपने परिवार के सुख के लिए प्रार्थना भी करती है. इसके अलावा इस फेयर में वृक्षारोपण का भी कार्यक्रम रखा जाता है.

FAQ

Q : हरियाली तीज कब है ?

Ans : 31 जुलाई

Q : हरियाली अमावस्या कब है ?

Ans : 28 जुलाई

Q : हरियाली तीज कब से कब तक है ?

Ans : 31 जुलाई   06:11pm से शुरू होकर  1 अगस्त 04:56 तक

Q : हरियाली अमावस्या कब से कब तक है ?

Ans : 28 जुलाई 07:13pm से शुरू होकर 29 जुलाई 07:21 तक

Q : हरियाली तीज का त्यौहार कैसे मनाते हैं ?

Ans : मेहंदी लगाते हैं, हरे रंग के कपड़े पहनते हैं, सावन के गाने गाते हैं, झूला झूलते हैं, बारिश के कारण चरों ओर फैली हरियाली का मजा लेते हैं.

 

  • Share This: