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करवा चौथ

करवा चौथ

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करवा चौथ

करवा चौथ का व्रत स्त्रियो का मुख्य त्योहार है. यह व्रत सुहागन महिलाये अपने पति की दीर्घायु के लिए करती है. करवा चौथ का व्रत  कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागन स्त्रियो द्वारा किया जाता है. यह व्रत हर विवाहित महिला अपने रिवाजो के अनुसार रखती है और अपने जीवन साथी की अच्छी सेहत तथा अच्छी उम्र की प्रार्थना भगवान से करती है. आज कल यह व्रत कुवारी लडकिया भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए रखती है.

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि (Karva Chauth Vrat Pooja vidhi) :

करवा चौथ व्रत  की पूजा को करते वक़्त एक पटे पर जल से भरा लोटा एवं एक करवे मे गेहु भरकर रखते है. इस दिन पूजन के लिए दीवार पर या कागज पर चंद्रमा तथा उसके नीचे भगवान शिव और कार्तिकेय की प्रतिमा बनाई जाती है और इसी प्रतिमा की पूजा स्त्रियो द्वारा की जाती है. इस दिन महिलाये सारा दिन व्रत रखती है, यहा तक की वे जल और फल भी ग्रहण नहीं करती. दिन भर की कठोर तपस्या के बाद जब रात्री मे चंद्रमा के दर्शन होते है, तब चंद्रमा की पूजा के बाद यह व्रत पूर्ण होता है. करवा चौथ व्रत मे रात्री की पूजा मे चंद्रमा को अर्द्ध देना, महत्वपूर्ण है. हर वो स्त्री जो व्रत करती है वो चंद्रमा को अर्द्ध जरूर देती है और फिर व्रत पूर्ण होता है. अब अपने व्रत को पूर्ण कर स्त्रिया रात्री मे जल तथा भोजन गृहण करती है.

जब कोई स्त्री एक बार इस व्रत को करना प्रारंभ कर देती है, तो उसे यह व्रत जीवन पर्यंत करना पड़ता है. इसलिए यह जरूरी नहीं है ,कि हर उम्र मे निर्जला रहकर ही यह व्रत किया जाए. एक बार जब सुहागन महिला इस व्रत का उजन कर देती है, तो वह अपनी सुविधा अनुसार व्रत के समय फल, जल और अन्य चीजे ग्रहण कर सकती है.

करवा चौथ व्रत की कहानी या कथा (Karva Chauth vrat Story):

जब भी कोई स्त्री करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat) करती है, तो वह व्रत के दौरान कथा सुनती है. व्रत के दौरान कथा सुनने की यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है. इस व्रत की कथा या कहानी जो कि सुहागन स्त्रियो के द्वारा सुनी जाती है वह इस प्रकार है :

एक नगर मे एक साहूकार रहता था. उसके सात लड़के और एक लड़की थी . कार्तिक महीने मे जब कृष्ण पक्ष की चतुर्थी आई, तो साहूकार के परिवार की महिलाओ ने भी करवा चौथ व्रत रखा. जब रात्री के समय साहूकार के बेटे भोजन ग्रहण करने बैठे, तो उन्होने साहूकार की बेटी (अपनी बहन) को भी साथ मे भोजन करने के लिए कहा. भाइयो के द्वारा भोजन करने का कहने पर उनकी बहन ने उत्तर दिया,  कि आज मेरा व्रत है. मै चाँद के निकलने पर पूजा विधि सम्पन्न करके ही भोजन करूंगी. भाइयो के द्वारा बहन का  भूख के कारण मुर्झाया हुआ चेहरा देखा नहीं गया. उन्होने अपनी बहन को भोजन कराने के लिए प्रयत्न किया. उन्होने घर के बाहर जाकर अग्नि जला दी.

उस अग्नि का प्रकाश अपनी बहन को दिखाते हुये कहा की देखो बहन चाँद निकाल आया है. तुम चाँद को अर्ध्य देकर और अपनी पूजा करके भोजन गृहण कर लो. अपने भाइयो द्वारा चाँद निकलने की बात सुनकर बहन ने अपनी भाभीयों के पास जाकर कहा. भाभी चाँद निकल आया है चलो पूजा कर ले. परंतु उसकी भाभी अपने पतियों द्वारा की गयी युक्ति को जानती थी. उन्होने अपनी नन्द को भी इस बारे मे बताया और कहा की आप भी इनकी बात पर विश्वास ना करे. परंतु बहन ने भाभीयों की बात पर ध्यान ना देते हुये पूजन संपन्न कर भोजन गृहण कर लिया. इस प्रकार उसका व्रत टूट गया और गणेश जी उससे नाराज हो गए.

इसके तुरंत बाद उसका पति बीमार हो गया और घर का सारा रुपया पैसा और धन उसकी बीमारी में खर्च हो गया. अब जब साहूकार की बेटी को अपने द्वारा किए गए गलत व्रत का पता चला, तो उसे बहुत दुख हुआ. उसने अपनी गलती पर पश्चाताप किया . अब उसने पुनः पूरे विधि विधान से व्रत का पूजन किया तथा की.

इस बार उसके व्रत तथा श्रध्दा भक्ति को देखते हुये भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए. उसके पति को जीवन दान दिया और  उसके परिवार को धन तथा संपत्ति प्रदान की. इस प्रकार जो भी श्रध्दा भक्ति से इस करवा चौथ के व्रत को करता है, वो सारे सांसारिक क्लेशो से मुक्त होकर प्रसन्नता पूर्वक अपना जीवन यापन करता है .

करवा चौथ व्रत उद्यापन विधि (Karwa Chauth Vrat Udyapan Vidhi) :

जब किसी महिला को करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth ) को करते हुये काफी समय हो जाता है, तो वह अपनी इच्छा अनुसार अपने व्रत का उद्यापन कर सकती है. करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि के लिए महिलाये अपने घर मे पूड़ी तथा हलवा बनाती  है. अब इन पुड़ियो को एक थाली मे चार-चार के ढेर मे तेरह जगह रखते है. अब इन पुड़ियो के उप्पर थोड़ा थोड़ा हलवा रखते है. अब इसके उप्पर साडी ब्लाउस अपनी इच्छा अनुसार रूपय रखकर तथा उसके आसपास कुमकुम चावल लगाते है. अब इसे अपनी सासु माँ के चरण स्पर्श कराकर उन्हे देते है . अब इन सब के बाद तेरह ब्राह्मणो को भोजन कराते है और उनका पूजन करके तथा दक्षिणा देकर बिदा करते है.

कुछ स्त्रीया इस दिन उद्यापन के लिए अन्य सुहागन स्त्रियो को भोजन भी कराति है. इसके लिए जो भी स्त्रिया करवा चौथ का व्रत करती है, उन्हे उद्यापन की सुपारी उद्यापन करने वाली महिला द्वारा पहले ही दे दी जाती है. करवा चौथ व्रत वाले दिन सारी महिलाये अपनी पूजा कर उद्यापन वाली महिला के घर जाकर अपना भोजन करती है . भोजन के बाद इन सभी महिलाओ को बिंदी लगाकर और सुहाग की सामग्री देकर बिदा किया जाता है. इस प्रकार करवा चौथ व्रत की उद्यापन विधि संपन्न होती  है .

करवा चौथ पर महिलाओ द्वारा किया गया श्रंगार (Karva Chauth Makeup):

वैसे तो हिंदुस्तान मे हर त्योहार पर महिलाओ का श्रंगार स्वाभाविक है . परंतु जब बात करवा चौथ की आती है, तो स्त्रियो का उत्साह ही अलग होता है . इस दिन स्त्रीया पूरे सोलह श्रंगार करती है. बल्कि इस दिन के लिए सजने की तैयारी कई दिनो पहले से ही शुरू कर दी जाती है. महिलाये पार्लर जाती है मेहंदी लगवाती है. और व्रत वाले दिन विशेष कपड़े पहनती है, गहने पहनती है. गहनों मे सबसे खास चीज होती है स्त्री द्वारा पहनी गयी नथ. नथ के पहनने से स्त्री की सुंदरता और भी बढ़ जाती है और उसकी सुंदरता मे चार चाँद लग जाते है.

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