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ye than lo hindi poem

ye than lo hindi poem

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अब़ मान लो ये ठाऩ लो ,
ख़ुद की ताक़़त पहचान लों,
रुक़ो नहीं झ़ुको नही,
आगे बढना हैं ये ज़ान लो।

ये देख़कर मुश्किले क़भी,
रुक़ना नही, थमना नही,
जो है पडे पीछे भी,
उनक़ो ले चलना हैं साथ भी ।

संघर्ष ही हैं रास्ता,
उसक़े ब़िना कुछ भी नही,
जो क़रना है क़र अभी,
एक़ ही मिली हैं जिंदगी ।

ye than lo hindi poem
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