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vrsa ke swagt me hindi poem

vrsa ke swagt me hindi poem

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वर्षा के स्वागत में तोते
उड़ते नभ में खुश होते

सारस ऊंची टेर लगाते
दूर -दूर तक उड़ते जाते

कुहू-कुहू कर रहे पपीहे
नव साहस भर रहे पपीहे

रही न पीछे कहीं टिटहरी
सखी बनी वर्षा की गहरी

बता रहे बच्चे बकरी के
उछल-कूद के नए तरीके

फुदक रही चिड़िया की टोली
बादल है सबके हमजोली

ताक रही बच्चो की बारी
नाव चलाने की तैयारी

बादल बरसे लगा ठहाके
आसमान में बगुले झांकें

vrsa ke swagt me hindi poem
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