वह अटल खड़ा है उत्तर में, शिखरों पर उसके, हिम किरीट।
साक्षी, विनाश निर्माणों का, उसने सब देखी, हार-जीत।
उसके सन्मुख जाने कितने, इतिहास यहां पर रचे गए। जाने कितने, आगे आए, कितने अतीत में चले गए।
vh atal khda hai uttar me hindi poem