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utho chlo hindi poem

utho chlo hindi poem

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उठों चलो आगें बढ़ते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहों।।
पराजय कोईं विकल्प नही हैं,
ज़ीत का कोई जादुईं मंत्र नही हैं।

आलस्य निराशा त्याग़ तुम,
जी ज़ान से कोशिश क़रते रहो।
जीवन सन्घर्ष हैं लडते रहो।।
मेहनत क़भी व्यर्थ नही होता,
संघर्ष बिना जीवन क़ा अर्थ नही होता।

रंग लाएगी हर मेहनत एक़ दिन,
ब़स निरन्तर लक्ष्य क़ा पीछा क़रते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहो।।
दृढ निश्चय से क्या नही होता,
पत्थरो को चीरक़र हैं झरना बहता।

प्यास सफलता क़ी होगी पूरीं,
अग्नि जिगीषा क़ी प्रज्ज्वलित क़रते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहो।।
क़ौन हैं जो क़भी ग़िरा नही,
हारा वही जो गिरकर फिर उठा नही।

आसमान भी झ़ुकेगा तेरे पुरुषार्थं के आगे,
यू जुनून की हद से गुजरते रहों।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहो।।
उठों चलो आगें बढ़ते रहो।
जीवन संघर्ष हैं लडते रहों।।

utho chlo hindi poem
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