उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।
छप-छप टप-टप बरसते मेघा ।।
घनन घनन घन गरजते बादल ।
बिजली चमकती जाए ।।
घनघोर अंधेरा सब और छाया ।
मेघा ऐसे जमकर बरसे ।।
सूखी नदियां कल-कल करती बहने लगी ।
सुख की बगिया फूलों की सुगंध से महक उठी ।।
चारों और हरियाली ही हरियाली छाई ।
किसानों के चेहरे चमक उठे ।।
उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।
सर सर टप टप बरसते मेघा ।।
धरती मां भी झूम उठी ।
सब और ठंडी हवा चलने लगी ।।
उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।।
umad ghumad hindi poem