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umad ghumad hindi poem

umad ghumad hindi poem

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उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।
छप-छप टप-टप बरसते मेघा ।।

घनन घनन घन गरजते बादल ।
बिजली चमकती जाए ।।

घनघोर अंधेरा सब और छाया ।
मेघा ऐसे जमकर बरसे ।।

सूखी नदियां कल-कल करती बहने लगी ।
सुख की बगिया फूलों की सुगंध से महक उठी ।।

चारों और हरियाली ही हरियाली छाई ।
किसानों के चेहरे चमक उठे ।।

उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।
सर सर टप टप बरसते मेघा ।।

धरती मां भी झूम उठी ।
सब और ठंडी हवा चलने लगी ।।

उमड़-घुमड़ भर आए बदरा आसमान में छाए ।।

umad ghumad hindi poem
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