उल्फत है तेरी कि ये बाहें तुझे पुकारती हैं हर रोज़ तेरी चाहत में ये तन्हाई मुझे डराती है खुदा करे ये मुहब्बत तुझे भी एक बार मिले ये दर्द जो मुझे मिला है तुझे हर बार मिले टूटे तारे की चमक भी नहीं छुपा सकते ये दर्द जो सीने में है तुम्हें भी नहीं बता सकते सोचा था कि वफ़ा मिले गी वफ़ा के बदले लेकिन तूने इस दिल में बेबसी भर दी काश इन रुखों में प्यास भर आये तेरे दिल में मेरे लिए मिठास भर आये वरना जी रहे थे हम खुदा बंदी में और मर जायेंगे तुझे याद करते करते
ulfat hai teri ki ye bahe hindi poem