तुम दूर ही सही तुमसे मिलता हूँ मैं हर रोज,
तेरे शहर में सूरज चाँद सा चमकता हूँ मैं हर रोज!!
बड़े शिद्त से जीने लगा हूँ मैं तुझमें रात दिन,
तुझे पता ही नहीं तेरे सांसो मे महकने लगा हूँ मैं हर रोज!!
तुम दूर ही सही….
तुम बेबाक हंसकर गुजर जाते हो दिल से मेरे,
बहुत देर तक खोजता दिल तुमको दिल से मेरे!!
तुम्हें पाने की ख़ुशी में यादों से दूर निकल जाता हूँ,
कम्बख्त दिल ही तो है तेरी गली से गुजर जाता हूँ मैं!!
तेरी जिंदगी गीतो सी बनकर उतर गयी यहाँ,
तेरे दर्द को सरगम से पिरोकर गीत गाता हूँ मैं हर रोज!!
तुम दूर ही सही….
हर शक्स से मुस्करा कर न मिला करो यहाँ,
“आदमी”हो आदमी सा रहा करो यहाँ!!
तेरी चंचल सी हँसी से परेशान है ये शहर,
तू सूरज सा उगती है चाँद सा ढलता हूँ मैं हर रोज,
तेरी सलामती की दुआ करता हूँ मैं हर रोज!!
तू दूर ही सही.. पर तुमसे मिलता हूँ मैं हर रोज!!
tumse milta hu m roj hindi poem