तू ख़ुद की खोज में निकल
तू किसलिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
जो तुझसे लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इनको वस्त्र तू
ये बेड़ियाँ पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
चरित्र जन पवित्र है
तोह क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं
की लें परीक्षा तेरी
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकपाएगा
अगर तेरी चूनर गिरी
तोह एक भूकंप आएगा
tu khud ki khoj me nikl hindi poem