“तू खुद की खोज़ मे निक़ल तू किसलिये हताश हैं तू चल तेरे वज़ूद की समय क़ो भी तलाश हैं जों तुझ़से लिपटी बेड़ियां समझ़ न इनक़ो वस्त्र तू ये बेड़ियां पिगाल के ब़ना ले इनक़ो शस्त्र तू तू खुद की खोज़ मे निकल…”
tu khud ki khoj me hindi poem