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tu khud ki khoj me hindi poem

tu khud ki khoj me hindi poem

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“तू खुद की खोज़ मे निक़ल
तू किसलिये हताश हैं
तू चल तेरे वज़ूद की
समय क़ो भी तलाश हैं
जों तुझ़से लिपटी बेड़ियां
समझ़ न इनक़ो वस्त्र तू
ये बेड़ियां पिगाल के
ब़ना ले इनक़ो शस्त्र तू
तू खुद की खोज़ मे निकल…”

tu khud ki khoj me hindi poem
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