तोड़ के हर पिंजरा जाने कब मैं उड़ जाऊँगी चाहे लाख बिछा लो बंदिशे फिर भी दूर आसमान मैं अपनी जगह बनाऊंगी मैं हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ भले ही परम्परावादी जंजीरों से बांधे है दुनिया के लोगों ने पैर मेरे फिर भी उस जंजीरों को तोड़ जाऊँगी मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
tod ke har pinjra hindi poem