पथ-भ्रष्ट होने का कलंक जो लगाया गया,
हमने वो आत्म बलिदान से मिटा दिया।
देश की सुरक्षा हेतु देश की जवानियों ने,
सीमाओं पर बूद-बूंद रक्त को चढ़ा दिया।
गोलियों के आगे जो वक्ष को अड़ाते रहे,
देश को एक भी ना घाव लगने दिया।
आप समझौता वाली मेज पे ना जीत पाए,
चोटियों पे हमने तिरंगा लहरा दिया।
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