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thndi thndi chli hva hindi poem

thndi thndi chli hva hindi poem

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ठंडी ठंडी चली हवा,
लगे बर्फ की डली हवा,
चुभती है तीरों जैसी,
कल की वो मखमली हवा,
बाहर मत आना भैया,
लिए खड़ी दोनाली हवा,

दादी कहती मफलर लो,
चल रही मुंह -जली हवा,
स्वेटर, कम्बल , कोट मिले,
नहीं किसी से टली हवा,
गर्मी में सब को भाये,
अब सर्दी में खली हवा।

 

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