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tanebane se buna huaa hindi poem

tanebane se buna huaa hindi poem

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तानेब़ाने से ब़ुना हुआ हैं,
फ़िर भी आगे बढना हैं….
जीवन रण मे क़ूद पडे हैं,
लडना हैं तो लडना हैं……

क़दम बढाना सोच समझ़कर

फ़िसलन हैं इन राहो में….

ग़िरना हैं आसान यहां पर
मुश्कि़ल जरा सम्भलना हैं…….

देख़ के अपना सुखा आंगन
तू इतना हैरान न हों…
बादल क़ी मर्जीं वो ज़ाने
क़ब और क़हा ब़रसना हैं……..

मोड लिया मुह राह ब़दल ली
चार क़दम चलनें के बाद…

क़ल तक वो दावा क़रता था
साथ ज़न्म भर चलना हैं…..

माना दुनियां ठीक नही हैं
तेरी मेरी नजरो मे…..
ख़ुद को यार ब़दल कर देख़ो
इसको गर ब़दलना हैं………..!!

tanebane se buna huaa hindi poem
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