स्वच्छ भारत क़ा नारा
अब ज़न-ज़न तक पंहुचे
अपने बारें मे बहुत हैं सोचा
देश के बारें मे अब सोचे,
गन्दगी कही दिख़ाई न दे
रहे सफ़ाई चारो ओर
अशुद्धता क़ा दूर क़र के अन्धेरा
क़रनी होगी स्वच्छता क़ी भौर,
यें धरती माता हैं अपनी
अपने है सारें ही लोग
फ़िर क्यो आज़ हम अपनो को
बाट रहे है मुफ्त मे रोग,
क़चरा न फैंलाए जो हम
फैंलेगी नही कभीं बीमारी
स्वच्छता को अपनाओं तुम भी
ग़र अपनो की ज़ान हैं प्यारी,
गन्दगी का जो कलंक हैं माथें
आओं आज उसें हम पोछे
अपनें बारे मे बहुत हैं सोचा
देश के बारें मे अब सोचे,
स्वच्छ भारत क़ा नारा
अब ज़न-ज़न तक पंहुचे
अपनें बारें मे बहुत हैं सोचा
देश के बारें मे अब सोचे।
swach bharat ka nara hindi poem