’’स्वच्छ भारत अभियान‘‘ नही
यह प्रगति पथ की सीढी हैं
देश हमारा स्वच्छ रहें
ज़ागरूक हुईं नव-पीढी हैं
सोच और परिवेंश भी ब़दला
आवश्यक़ आदत बदलें
इस मूलभुत दिनचर्यां को
चलों अपनाये सबसें पहले…
आस पास ज़ब स्वच्छ रहें
तभीं स्वस्थ रहेंगा ये तनमन
मनमोहक़ वातावरण रहें
आनन्दित गुज़रेगा जीवन…
फेक रहें जो गली-मुहल्लें
अपनें घर का गंध कही
उस मलबे के ढेरो से क्या
उठें कोई दुर्गध नही…?
है जीवाणु, कईं रोगो के
लहरातें इन्ही फिज़ाओ मे
दम भर-भर सांसें हम लेते
इन दुषित हुई हवाओ में….
बिमार ग़र जब होगे
बिमार पडेगी बस्ती भी
सम्पत्ति होती हैं, सेहत!
फ़िर… लाख़ दवा हों सस्ती भी..!
हम स्वच्छ बनाये घर अपना
हर ग़ली-मोहल्ला निर्मंल हो।
घर, शहर, देश सब़ स्वच्छ रहें
और स्वच्छ हमारा भूतल हों।।
swach bharat abhiyan hindi poem