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svchta poem in hindi

svchta poem in hindi

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सुनो बच्चो एक ऐसी कहानी,
स्वच्छता कर दूर रख़ो हर बिमारी।

सुबह उठों या सोना हों रात,
ब्रुश करों तुम हर बार,
फ़िर चेहरें की करके सफाई
ताज़गी मिलेगी तुम्हे भाई।

कमरें को करकें साफ,
कचरें को समेट लो आस पास,
कचरें को ना बाहर फैंलाओ,
इसक़ो तुम कूडे दान मे डालों।

हाथो को साबून से करके साफ,
निरोगी रख़ो स्वयम् को हर बार,
रोज़ नहानें ने की आदत अपनाओं,
तन मन क़ो तुम शुद्ध बनाओं।

स्वच्छता क़ी आदत हैं ख़ास,
निरोगी रहें हर बच्चा यहीं हैं आस,
घर हों या आगन इसे रख़ो साफ,
डेगू मलेरियां ना रहेगा आस पास।

स्वच्छ शरीर स्वच्छ विचार,
साफ सफाई से जुडा हैं हर बार,
सुनों बच्चो एक़ ऐसी कहानी,
स्वच्छता क़र दूर रख़ो हर बिमारी।

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