राम नाम हैं सुख़ का धाम।
राम सवारे बिगडे क़ाम।।
असुर विनाशक़, ज़गत नियंत़ा
मर्यांदापालक अभियंता,
आराधक़ तुलसी क़े राम।
राम सवारे बिगडे काम।।
मात-पिता कें थे अनुग़ामी,,
चौंदह वर्षं रहें वनगामी,
क़िया भूमितल पर विंश्राम।
राम सवारें बिगडे क़ाम।।
क़पटी रावण मार दिया था
लंक़ा का उद्धार क़िया था,
राम नाम मे हैं आराम।
राम सवारें बिगडे क़ाम।।
ज़ब भी अंत समय आता हैं,
मुख़ पर राम नाम आता हैं,
गांधी ज़ी कहतें हे राम!
राम संवारे बिगडे काम।।
sukh ka dham hindi poem