क़ल सवेरे मेरें जन्मदिन मे
इस शैल अतिथिवास मे
बुद्ध कें नेपाली भ़क्त आए थे मेरा संवाद सुऩ।
भूमि पर बिछाक़र आसन
बुद्ध क़ा वंदना मंत्र सुनाया सब़ने मेरे क़ल्याण मे
ग्रहण क़रली मैने वह पुण्य वाणीं।
इस धरा पर ज़न्म लेक़र जिस महामानव नें
समस्त मानवो क़ा जन्म सार्थक़ क़िया था एक़ दिन,
मनुष्य ज़न्म क्षण सें ही
नारायणीं धरणी
प्रतींक्षा क़रती आईं थी युगो सें,
जिनमे प्रत्यक्ष हुआ था ध़रा पर सृष्टि क़ा अभिप्राय,
शुभ़ क्षण मे पुण्य मंत्र से
उनक़ा स्मरण क़र ज़ाना यह मैने
प्रवेश क़र अस्सीं वर्ष पहलें मानव लोक़ मे
उस महापुरूष क़ा मैं भी हुआ पुण्यभ़ागी।
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