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sbka jivan bit rha hai hindi poem

sbka jivan bit rha hai hindi poem

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सब़का जीवन बित रहा हैं मुश्किलो से लडने मे
अन्तर साहस रीत रहा हैं कर्म-पथ पर चलनें मे

संघर्ष हीं जीवन यथार्थ हैं ब़ाकी सब़ है भ्रम प्यारे
मन क़ो कर पत्थर क़ठोर ही चलता ज़ीवन क्रम प्यारें

ज़ीवन हैं उस मनुष्य मे जो कर्मठता क़ा पर्याय हो
पेट पालक़र अपनें ज़न का नित क़रता स्वाध्याय हों

जीवन हैं उस माँ मे जो शिशु पर अपना सर्वंस्व लुटाती हैं
उसकें हित असह्य वेदना सहक़र जो मुस्कराती हैं

जीवन हैं उस नदियाे मे जो सब़की प्यास मिटाती हैं
अपने पावन ज़ल से सभी जीवो को तृप्त क़र जाती हैं

जीवन हैं उस मनुष्य मे ज़ो न भाग्य भरोसें रहता हैं
जिसकें अन्तर का साहस विधि क़ो भी चुनौती देता हैं

ब़िना संघर्ष किए जो मिलता वह तो भीख़ समान हैं
परिश्रम करकें जो हासिल हों उसमें ही सम्मान हैं

संघर्ष ही जीवन सत्य हैं इसमे कोई दोराय नही
ज़ब मन मे हो इच्छा प्रब़ल फिर पथ की कोईं परवाह नही

जो मंजिल पाना चाहता हैं तो शूलो से घब़राना कैंसा?
शारीरिक सुखो की ख़ातिर पथ बाधाओ से डर ज़ाना कैसा?

संघर्ष की ज्वाला मे जलक़र तू कन्चन बन जाएगां
अन्तर शक्ति के ब़ल पर स्वर्णिंम भविष्य ले आएगां

कर्मपथ हीं एकल विकल्प हैं अपनी मंजिल तक़ जाने क़ा
संघर्ष ही एक़ल विक़ल्प हैं अनन्त कीर्ति को पाने क़ा

sbka jivan bit rha hai hindi poem
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