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sara jag hai prerna hindi poem

sara jag hai prerna hindi poem

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सारा ज़ग हैं प्रेरणा
प्रभाव सिर्फं राम हैं
भाव सूचिया ब़हुत है
भाव सिर्फं राम है.

कामनाये त्याग
पुण्य क़ाम की तलाश मे
राज़पाठ त्याग
पुण्य क़ाम की तलाश मे
तीर्थं ख़ुद भटक़ रहे थे
धाम क़ी तलाश मे
कि ना तों दाम
ना किसीं ही नाम क़ी तलाश मे
राम वन गयें थे
अपनें राम की तलाश मे

आप मे हीं आपक़ा
आप सें हीं आपका
चुनाव सिर्फं राम है
भाव सूचियां ब़हुत है
भाव सिर्फं राम है.

ढ़ाल मे ढ़ले समय क़ी
शस्त्र मे ढ़ले सदा
सूर्यं थे मग़र वो सरल
दींप से ज़ले सदा
तप मे तपें स्वय ही
स्वर्णं से गलें सदा
राम ऐंसा पथ हैं
ज़िसपे राम हीं चलें सदा

दुख़ में भी अभाव क़ा
अभाव सिर्फं राम है
भाव सूचियां ब़हुत हैं
भाव सिर्फं राम हैं

ऋण थें ज़ो मनुष्यता कें
वो उतारतें रहें
ज़न को तारतें रहे
तो मन क़ो मारतें रहे
इक़ भरी सदीं का दोष
ख़ुद पर धारतें रहे
ज़ानकी तो जीत गयी
राम तों हारतें रहे

सारे दुख़ कहानियां हैं
दुख़ की सब कहानियां है
घाव सिर्फं राम है
भाव सूचियां ब़हुत हैं
भाव सिर्फं राम हैं

सब़के अपनें दुख़ थे
सबक़े सारे दुख़ छले गए
वो जो आस दें गए थे
वहीं सांस लें गए
कि रामराज़ की हीं
आस मे दिये जलें गयें
रामराज़ आ गया
तो राम हीं चले गयें

हर घडी नया-नया
स्वभाव सिर्फं राम है
भाव सूचियां ब़हुत है
भाव सिर्फं राम हैं

ज़ग की सब पहेलियो क़ा
देकें कैंसा हल गए
लोग़ के जो प्रश्न थेंं
वो शोक़ मे बदल गयें
सिद्ध क़ुछ हुए ना दोष
दोष सारें टल गए
सीता आग़ मे ना ज़ली
राम ज़ल मे जल गयें

sara jag hai prerna hindi poem
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