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roko mt khud ko kuch krne se hindi poem

roko mt khud ko kuch krne se hindi poem

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रोको मत खुद को कुछ करने से,
कुछ तो बदलेगा आगे बढ़ने से।

इस तरह हार कर बैठे हो किसका इंतज़ार है,
अकेले आगे बढ़ते रहो, खुद से अगर प्यार हैं।

कहने दो दुनिया को जो कहते हैं,
जीतने वाले कहाँ किसी से डरते हैं ।

देखी है मैंने थोड़ी जिंदगी,
थोड़े हार भी देखे हैं।
गिरा हुँ बहुत बार,
अन्धकार भी देखे हैं।

एक बार फिर खड़े होकर,

असफलता पर वार करो,
जितना है अगर तुमको,
खुद को फिर से तैयार करो ।

 

roko mt khud ko kuch krne se hindi poem
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