रिमझिम रिमझिम सी बूंदे जग के आंगन में आयी ।
अपने लघु उज्जवल तन में कितनी सुंदरता लायी ।।
मेघों ने गरज-गरज कर मादक संगीत सुनाया ।
इस हरी-भरी संध्या ने हमको उन्मत्त बनाया ।।
सूखी सरिताओं ने फिर सुंदर नवजीवन पाया ।
लघु लहर लहर पर देखो सौंदर्य नाचने आया ।।
वन उपवन पनप गए सब कितने नव अंकुर आए ।
वे पीले पीले पल्लव फिर से हरियाली लाएं ।।
वन में मयूर अब नाचे हंस हंस आनंद मनाएं ।
उनकी छवि देख रही है नव सी घनघोर घटाएं ।।
प्रतिपल हम नाचे खेलें जगजीवन मधुर बनाए ।
अपने छोटे से घर में सुख का संसार बसाएं ।।
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