अब तो मेंरा राम नाम दूंसरा न कोईं॥
माता छोड़ी पिता छोड़े छोड़े संगा भाई।
साधू संग बैंठ बैंठ लोक लाज़ ख़ोई॥
सतं देख़़ दौड़ आयी, जगत देख़ रोई।
प्रेम आंसू डार डार, अमर बेंल बोईं॥
मार्ग मे तांरग मिलें, संत राम दोईं।
सन्त सदा शींश राख़ू, राम हृदय होईं॥
अन्त मे से तंत काढ़यो, पीछें रही सोईं।
राणें भेज्या विष क़ा प्याला, पींवत मस्त होईं॥
अब तो ब़ात फ़ैल गई, जानें सब कोईं।
दास मीरा लाल गिरधर, होनीं हो सो होईं॥
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