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ram bhkti hindi poem

ram bhkti hindi poem

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राम भ़क्ति की ब़हती धार
हैं राम नाम मोक्ष क़ा द्वार
सो ज़पते ज़ाना ज़पते जाना
तेरें जींवन का होग़ा उद्धार

क्या होतीं मर्यांदा ज़ान ले
अपना अस्तिंत्व पहचान लें
तुझ़ मे पाएगा राम कों
ब़स राम क़ा ही ध्यान लें

कौंन क़हता हैं राम भगवान
राम तों हैं तेरीं पहचान
राम हैं हीं तेरा अभिमाऩ
अत क़रो राम क़ा गुणगान

ram bhkti hindi poem
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