“राह मे मुश्कि़ल होगी हज़ार,
तुम दो क़दम बढ़ाओ तो सही,
हो जाएग़ा हर सपना साक़ार,
तुम चलों तो सही, तुम चलों तो सही।
मुश्कि़ल हैं पर इतना भी नही,
क़ि तू क़र ना सकें,
दूर हैं मन्जिल लेक़िन इतनी भी नही,
कि तू पा ना सक़े,
तुम चलों तो सही, तुम चलों तो सही।…”
rah me muskil hogi hindi poem