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pyar pnchi soch pinjra hindi poem

pyar pnchi soch pinjra hindi poem

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प्यार पंछी सोच पिंजरा दोनों अपने साथ हैं,
एक सच्चा, एक झूठा, दोनों अपने साथ हैं,

आसमाँ के साथ हमको ये जमीं भी चाहिए,
भोर बिटिया, साँझ माता दोनों अपने साथ हैं।

आग की दस्तार बाँधी, फूल की बारिश हुई,
धूप पर्वत, शाम झरना, दोनों अपने साथ हैं।

ये बदन की दुनियादारी और मेरा दरवेश दिल,
झूठ माटी, साँच सोना, दोनों अपने साथ हैं।

वो जवानी चार दिन की चाँदनी थी अब कहाँ,
आज बचपन और बुढ़ापा दोनों अपने साथ हैं।

मेरा और सूरज का रिश्ता बाप बेटे का सफ़र,
चंदा मामा, गंगा मैया, दोनों अपने साथ हैं।

जो मिला वो खो गया, जो खो गया वो मिल गया,
आने वाला, जाने वाला, दोनों अपने साथ हैं।

pyar pnchi soch pinjra hindi poem
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