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prkriti se prem kre hindi poem

prkriti se prem kre hindi poem

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आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें,
भूमि मेरी माता है,
और पृथ्वी का मैं पुत्र हूं।

मैदान, झीलें, नदियां, पहाड़, समुंद्र,
सब मेरे भाई-बहन है,
इनकी रक्षा ही मेरा पहला धर्म है।

अब होगी अति तो हम ना सहन करेंगे,
खनन-हनन व पॉलीथिन को अब दूर करेंगे,
प्रकृति का अब हम ख्याल रखेंगे।

हम सबका जीवन है सीमित,
आओ सब मिलकर जीवन में उमंग भरे,
आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें।

प्रकृति से हम है प्रकृति हमसे नहीं,
सब कुछ इसमें ही बसता,
इसके बिना सब कुछ मिट जाता।

आओ आओ प्रकृति से प्रेम करें।

prkriti se prem kre hindi poem
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