पहले इश्क को राख होने दीजिए,
फिर दिल को राख होने दीजिए!
तब जा कर पनपेगी मुहोब्बत,
जो भी हो बेहिसाब होने दीजिए!!
सजाएं मुक़र्रर करना इत्मिनान से,
मगर पहले कोई गुनाह होने दीजिए!
में भुला नहीं बस थोडा थक गया था,
लौट आऊंगा घर…शाम होने दीजिए!!
चाँद के दीदार की चाहत दिन में जगी है,
आएगा मजार वो, रात होने दीजिए!!
जो सरिताएँ सुख गई है इंतज़ार में,
वो भी भरेगी बस बरसात होने दीजिए!!
नासमझ, पागल, आवारा, लापरवाह है जो,
सम्हाल जाएँगे वो भी बस अहसास होने दीजिए!!
phle ishq ko rakh hone dijiye hindi poem