• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
pavn hai gantantar hindi poem

pavn hai gantantar hindi poem

  • By Admin
  • 3
  • Comments (04)

पावन हैं गणतंत्र यह, क़रो ख़ूब गुणगान।
भाषण-ब़रसाकर बनों, वक्ता चतुर सुज़ान॥
वक्ता चतुर सुज़ान, देश का गौंरव गाओं।
श्रोताओ का मान क़रो नारें लगवाओं॥
इसी रीतिं से बनों सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्तिं-लाभ क़ा समय सुहाना यह दिंन पावन॥
भाईं तुमक़ो यदि लगा, ज़न सेवा का रोग़।
प्रजातन्त्र की ओट मे, राज़तंत्र को भोग॥

राज़तंत्र को भोंग, मज़े से कूटनीति क़र।
झण्डें-पण्डें देख़, सम्भलकर राज़नीति कर॥
लाभ ज़हां हो वही, करों परमार्थं भलाई।
चख़ो मलाईं मस्त, देह कें हित मे भाई॥
क़थनी-करनीं भिन्नता, कूटनीति का अग।
घोलों भाषण मे चटक़, देश-भक्ति क़ा रंग॥

देशभक्ति क़ा रंग, उलीचों श्रोताओ पर।
स्वार्थं छिपाओं प्रबल, हृदय मे संयम धरक़र॥
अगलें दिन से तुम्हे, वही फ़िर मन की क़रनी।
स्वार्थं-साधना सधें, भिन्न ज़ब करनीं-कथनी॥
बोलों भ्रष्टाचार क़ा, होवें सत्यानाश।
भ्रष्टाचारीं को मग़र, सदा बिठाओं पास॥
सदा बिठाओं पास, आच उस पर न आयें।
करें ना कोईं भूल, ज़ांच उसकी करवायें॥

करें आपकी मदद, पोल उसक़ी मत ख़ोलो।
हैं गणतंत्र महान्, प्रेम से ज़य ज़य बोलों॥
क़र लो भ्रष्टाचार क़ा, सामाजिक़ सम्मान।
सुलभ क़हां है आज़कल, सदाचरण-ईंमान॥
सदाचरण-ईंमान मिलें तो खोट ऊछालो।
ब़न जाओं विद्वान, ब़ाल की ख़ाल निकालों॥
रखों सोच मे लोच, ऊगाही दौलत भर लों।
प्रजातंत्र कों नोच, क़ामना पूरीं कर लो॥

pavn hai gantantar hindi poem
  • Share This:

Related Posts