• +91 99920-48455
  • a2zsolutionco@gmail.com
parvat khta hindi poem

parvat khta hindi poem

  • By Admin
  • 3
  • Comments (04)

पर्वत कहता
शीश उठाकर
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है
लहराकर
मन में गहराई लाओ।

 

समझ रहे हो
क्या कहती है
उठ-उठ गिर गिर तरल तरंग।
भर लो, भर लो
अपने मन में
मीठी-मीठी मृदुल उमंग।
धरती कहती
धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता है
फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार।

parvat khta hindi poem
  • Share This:

Related Posts