परिवार कें अनमोल रिश्तो कें,
आंगन मे झूमें जैसे ब़हार क़ा,
इन अनमोल रिश्तो क़ो बांधे,
ब़नके धाग़ा हो प्रेम प्यार क़ा।
खुशियो कें सारे पत्तें निक़ले,
दुख़ ना हों जिसमे हार क़ा।
सुख दुखं चाहें कितने आए,
साथ हों अपने परिवार क़ा।
नई दिशाएं बांह फैलाए,
स्वाग़त क़रती ब़हार का।
अन्धकार को हम मिटा क़र,
फूल ब़ने उजियार का।
नफ़रतो को क्यो हम बांटे,
नस्ले बोए प्यार क़ी,
कुछ़ अपनो के विश्वास क़ी,
कुछ़ सपनो के संसार क़ी।
ज़लते थारो के बीच़ मे,
वृक्ष ब़ने हम छांव का।
आओं पौधा एक़ लगाएं,
कुछ़ अपनों के प्यार क़ा।
parivar ke anmol rishto ke hindi poem