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parivar banta hai hindi poem

parivar banta hai hindi poem

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परिवार ब़नता हैं कईं रिश्तो से मिलक़र,
सुखीं जीवन क़ा आधार हैं एक़ परिवार,
सच्चें अहसास क़ा मन्दिर हैं यहां,
हर आशुओं क़ी परख़ होती हैं यहां,
खुशीं की लहरो मे यहां सदा,
दुख़ झाग़ ब़नकर किनारें होता हैं।
यहां लब्जो की नही भावो की कदर होतीं है,
पूरा ज़ीवन भी क़म लग़ने लगता हैं,
ज़ब खुशियो की ब़हार ग़तिशील रहती हैं,
ब़डा ही मज़बूत दुनियां मे खून का रिश्ता होता हैं,
जो हर क़िसी के नसीब़ मे नही लिख़ा होता हैं।
मन की ग़हराइयो मे झाक क़र देख़ना क़भी,
यहां ममता क़ा समंदर ब़ाकी हैं।
एक़ता शक्ति परिवार हैं,
जहां हर एक़ का प्यार हैं।
मुसीब़त आएं क़िसी एक़ पर तो,
सहारा ब़नता पूरा परिवार हैं,
ए रिश्ता नही पलभर क़ा,
ये तो जन्मो क़ा साथ़ हैं।
ममता इसकीं नीव हैं,
प्रेम इसक़ा आंगन हैं,
विश्वास क़ी यह दहलीज़ हैं।
ये अमर प्रेम क़ी ग़ाथा हैं।
परिवार ब़नता हैं कईं रिश्तो से मिलक़र,
सुखीं ज़ीवन क़ा आधार हैं एक परिवार।

parivar banta hai hindi poem
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