ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान,
क्यों तरस न हम पर करते
हम पल-पल गर्मी में मरते
गलियाँ सूनी पड़ जातीं
जब तुम हो शिखर पर चढ़ते,
राहत कैसे हम पायें
कुछ देदो हमको ज्ञान
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान।
जो बिजली चली जाती पल में गीले हो जाते
फिर काम न होता कोई सब लोग ढीले हो जाते
कभी गलती से जो मौसम बदले
पाकर बारिश का पानी फिर सब छैल छबीले होते,
पर जब रूप दिखाते अपना
दुविधा में पड़ता सारा जहान
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान।
o suraj bhgwan hindi poem