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o nari hindi poem

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ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो

ज्ञान जो चाहें सरस्वती तुम, मान जो चाहें लक्ष्मी हो तुम
अपराधों का साया छाये धरती पर, तो काली-दुर्गा का रूप हो तुम
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।

खुशियों का संसार तुम्हीं से, जीने के आधार तुम्हीं से
बंद होते और खुलते भी हैं, दुनिया के दरबार तुम्हीं से
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।

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