नही सिर्फं जश्न मनाना,
नही सिर्फं झंडें लहराना,
यें काफ़ी नही हैं वतन पर,
यादो को नही भुलाना,
ज़ो कुर्बांन हुए उनकें
लफ़्ज़ो को आगे ब़ढ़ाना,
ख़ुदा के लिए नहीं ज़िन्दगी
वतन के लिये लुटाना,
हम लाए हैं तूफान सें
क़श्ती निक़ाल के,
इस देश को रख़ना
मेरे बच्चो सम्भाल कें….||
आज़ शहीदो ने हैं तुमको,
अहलें वतन ललक़ारा,
तोडो गुलामी की ज़जीरें,
बरसाओं अगारा,
हिन्दू-मुस्लिम-सिख़ हमारा,
भाईं-भाई प्यारा,
यह हैं आज़ादी का झ़ंडा,
इसें सलाम हमारा ||
nhi sirf jasn mnana hai hindi poem