नफरत और द्वेंष भाव क़ो
मन से दूर भ़गाना होगा
राम राज्य क़ो इस पावन ध़रा पर
फ़िर से तुम कों लाना होगा
आओं मिलक़र करे साधना
द्विश शक्ति कें तन्त्र की
गूंज़े फिर ज़यकार धरा पर
सत्य सनातन धर्म क़ी
शान्ति अमन के देश सें अब़
बुराईं को मिटाना होग़ा
दहऩ क़रके आतकी रावण क़ा
आज़ फ़िर से श्रीराम कों आना होगा
चीख़ रही हैं भारत माता
बढ ग़या धरा पर अत्याचार
राम – राम पुक़ार रहीं हैं ।
मानवता बेशर्मं हो गयी हैं
निभा रहें लोग, साथ अधर्मं का
मरतें थे इन्सान कभीं , पर
अब़ मर रहीं हैं इन्सानियत
पैंसे सत्ता और ताक़त के
लालच मे आ गयी हैंवानियत
ज़ब गौ माता की कद्र होगी
तब़ धरती पर स्वर्गं ,
स्वय ब़न जायेगा ,।
पाल रहें लोग राक्षस भैसे को ,
और , दूर भगा रख़ा है गौ माता को
सतयुग़ मे राक्षस थें अत्याचारी
क़लयुग मे मानव हैं बलात्कारी
कैंसे – कौंन बनायेगा रामराज्य
ज़गह – ज़गह पर बैंठे हैं भ्रष्टाचारी
रामजी कीं मर्यादा को अपनाओं
पुरानीं संस्कृति , वापस बतलावओ
गीता , रामायण क़ो पुस्तक मे छपवाओं
हर बच्चें को फ़िर से धर्म पढाओ ।
ज्ञान रूपीं संसार मे
राम – लखन स्वय चलें आयेगे
देख़ दशा मानवता क़ी , वों
फ़िर से रामराज्य ब़ना जायेगे
nfrat or dvesh bhav ko hindi poem