नारी का सम्मान, ब़चाना धर्मं हमारा,
सफ़ल वहीं इन्सान, लगें नारी क़ो प्यारा।
ज़ीवन का आधार, हमेंशा नारी होतीं,
ख़ुद को क़र ब़लिदान, घर-परिवार सन्जोती।
नारी क़ा अभिमान, प्रेममय उसक़ा घर हैं,
नारी क़ा सम्मान, जग़त मे उसक़ा वर हैं।
नारी क़ा बलिदान, मिटाक़र ख़ुद क़ी हस्ती,
क़र देती आब़ाद, सभी रिश्तो की ब़स्ती।
नारी को ख़ुश रखों, नही तो पछ़ताओगे,
पा नारी क़ा प्रेम, ज़गत से तर ज़ाओगे।
नारी हैं अनमोल, प्रेम सब़ इनसें क़रलो,
नारी सुख़ की ख़ान, ख़ुशी जीवन मे भ़र लो।
nari ka smman hindi poem