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mynmur jo ncha gyi hindi poem

mynmur jo ncha gyi hindi poem

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मनमयूर लो नचा गई
रिमझिम यह बरसात
लिखी किसी के भाग्य मे
आँसू की सौगात
भीगा सावन प्यार में
जल में भीगा बदन
सजनी साजन से करे
कैसे प्रणय-निवेदन?

छम-छम पायल बज उठे
चूड़ी बजती खनखन
बोल नहीं पाते अधर
झूमता आया पवन

कानों में कुछ कह गया प्यारी-प्यारी बात
मनमयूर लो नचा गई
रिमझिम यह बरसात

पिया बिना बरसात में
काटी रतियाँ जाग
वेणी फूलों से लदी
डसती जैसे नाग

अंगारों-सा क्यों लगे
हरा-भरा यह बाग
तन जल में मन जल उठे
पानी मे यह आग

काँटे दिल तक ना चुभे
दी गुलाब ने मात
लिखी किसी के भाग्य मे
आँसू की सौगा़त

डूब गया घरबार सब
बहा गई लंगोट
किया बसेरा फटी हुई
चादर की ले ओट

हेलीकोप्टर आ गए
नेता माँगे वोट
आंसू मगरमच्छ के
दिल पर करते चोट

फंड हजम कर रो रही
जनता को दी लात
लिखी किसी के भाग्य में
आँसू की सौगात।

mynmur jo ncha gyi hindi poem
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