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chuttiyo ka mosam hai hindi poem

chuttiyo ka mosam hai hindi poem

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छुटि्टयों का मौसम है
त्योहार की तैयारी है
रौशन हैं इमारतें
जैसे जन्नत पधारी है

कड़ाके की ठंड है
और बादल भी भारी है
बावजूद इसके लोगों में जोश है
और बच्चे मार रहे किलकारी हैं
यहाँ तक कि पतझड़ की पत्तियाँ भी
लग रही सबको प्यारी हैं
दे रहे हैं वो भी दान
जो धन के पुजारी हैं।

खुश हैं ख़रीदार
और व्यस्त व्यापारी हैं
खुशहाल हैं दोनों
जबकि दोनों ही उधारी हैं

भूल गई यीशु का जनम
ये दुनिया संसारी है
भाग रही है उसके पीछे
जिसे हो हो हो की बीमारी है

लाल सूट और सफ़ेद दाढ़ी
क्या शान से सँवारी है
मिलता है वो मॉल में
पक्का बाज़ारी है

बच्चे हैं उसके दीवाने
जैसे जादू की पिटारी है
झूम रहे हैं जम्हूरे वैसे
जैसे झूमता मदारी हैं

chuttiyo ka mosam hai hindi poem
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muskane ka krm hindi poem

muskane ka krm hindi poem

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जब खिलती मुखड़े के ऊपर
मन्द मधुर मुस्कान,
हो जाती तब अनजाने से
बिना कहे पहचान।

मुस्काकर हर बाधा को जो

हँस – हँस जाता झेल,
जीवन का हर दुःख ही उसको
लगता जैसे खेल।

मुस्कानों से छलका पड़ता
मन का सुन्दर रूप,
ये जग को जगमग करती हैं
ज्यों प्रातः की धूप।

मुस्काने वाले के मन में
होते विमल विचार,
ऐसे में वह नहीं और पर
करता अत्याचार।

मुस्काते बच्चे लगते हैं
जैसे खिलते फूल,
महक रही है जिनके कारण
इस धरती की धूल।

मुस्काने से खिल उठता है
सारा ही परिवेश,
विश्व – शांति का मुस्कानों में
छुपा हुआ संदेश।

जीवन को देता सुख सच्चा
मुस्काने का कर्म,
औरों को देना मुस्कानें
सबसे अच्छा धर्म।

muskane ka krm hindi poem
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