जब खिलती मुखड़े के ऊपर
मन्द मधुर मुस्कान,
हो जाती तब अनजाने से
बिना कहे पहचान।
मुस्काकर हर बाधा को जो
हँस – हँस जाता झेल,
जीवन का हर दुःख ही उसको
लगता जैसे खेल।
मुस्कानों से छलका पड़ता
मन का सुन्दर रूप,
ये जग को जगमग करती हैं
ज्यों प्रातः की धूप।
मुस्काने वाले के मन में
होते विमल विचार,
ऐसे में वह नहीं और पर
करता अत्याचार।
मुस्काते बच्चे लगते हैं
जैसे खिलते फूल,
महक रही है जिनके कारण
इस धरती की धूल।
मुस्काने से खिल उठता है
सारा ही परिवेश,
विश्व – शांति का मुस्कानों में
छुपा हुआ संदेश।
जीवन को देता सुख सच्चा
मुस्काने का कर्म,
औरों को देना मुस्कानें
सबसे अच्छा धर्म।
muskane ka krm hindi poem