मुझे तो अँधेरों में जलना भी आता है
राह कितनी भी मुश्किल हो पर चलना भी आता है।।
कितने भी पत्थर बिछा दो तुम राहों में कोई फर्क नहीं पड़ता
क्योंकि मुझे गिरकर संभलना भी आता है।।
हम नहीं मानते कि ये सब किस्मत में लिखा था
इरादे के पक्के हैं हमें किस्मत बदलना भी आता है।।
तुम्हें क्या लगता है हम यूँ ही रेंगते रहेंगे जमीन पर
थोड़ी दम तो भरने दो हमें उछलना भी आता है।।
तूने ये कैसे सोच लिया कि हम भी पत्थर दिल हैं तेरी तरह
अरे तुम नज़रें तो झुकाओ हमें पिघलना भी आता है।।
mujhe to andhero me bhi jlna aata hai hindi poem