मेरी गोद में पले जग सारा,
हर प्राणी कि जान हूँ मैं
समझूँ भेद का मैं ना इशारा,
सबके लिए समान हूँ मैं
भरती अनाज से घर मैं तुम्हारा,
समस्या का समाधान हूँ मैं
धरती माँ जिसने भी पुकारा,
मैं उसके लिए महान हूँ मैं
कभी मैं चंचल बहती धारा,
कभी सूखा रेगिस्तान हूँ मैं
हर किसान का बनूँ सहारा,
खेत हूँ और खलिहान हूँ मैं
जिसको हर मिटाने वाला हारा,
वोही अमिट निशान हूँ मैं
meri godd me ple jag sara hindi poem